'मुख्तार अंसारी गिरोह भारत का सबसे खूंखार गिरोह', इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में कथित गिरोह के सदस्य को जमानत देने से इनकार किया
Sharafat
10 March 2023 4:00 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'मुख्तार अंसारी गैंग' को भारत का सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह करार देते हुए पिछले हफ्ते एक हत्या के मामले में अंसारी गिरोह के एक कथित सदस्य को जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने एक हत्या के आरोपी (एक रामू मल्लाह), जो मुख्तार अंसारी गिरोह का एक कथित सदस्य है, उसे जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की।
कोर्ट के समक्ष रामू मल्लाह की जमानत याचिका का सरकार ने यह तर्क देते हुए विरोध किया कि वह मुख्तार अंसारी गिरोह का सदस्य है और रामू मल्लाह के खिलाफ हत्या, आर्म्स एक्ट सहित गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा मामले में आवेदक के अलावा मुख्तार अंसारी और अन्य भी आरोपी हैं। कोर्ट ने आगे इसे 'अजीब' बताया कि एक को-ऑर्डिनेट बेंच ने साल 2013 में मल्लाह को जमानत पर रिहा कर दिया था।
गौरतलब है कि कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी आवेदक न केवल मामले में मुकदमे के दौरान रणनीतिक रूप से फरार हो गया, बल्कि आरोपी आवेदक की ओर से जमानत आवेदन/पूरक शपथ पत्र पर गलत पता देकर कोर्ट के साथ धोखाधड़ी की और ग्राम प्रधान का जाली प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। .
अदालत ने कहा,
" ज्यादातर मामलों में आरोपी आवेदक को बरी कर दिया गया है क्योंकि कोई भी इस तरह के खूंखार अपराधी के खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं करेगा। गवाह या तो मिला लिये गए या थक गए या समाप्त हो गए। एजीए ने प्रस्तुत किया कि आरोपी आवेदक बरी हो सकता है क्योंकि गवाह बदल गए और पक्षद्रोही हो गए हैं। यह परेशान करने वाली घटना है और ऐसे खूंखार अपराधी कई जघन्य अपराधों में छूट जाते हैं, क्योंकि खूंखार अपराधी या तो गवाह को अपनी तरफ मिला लेते हैं या उन्हें थका देते हैं या उन्हें खत्म कर देते हैं। "
अपने आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा कि एक मजबूत, स्वतंत्र और निष्पक्ष आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए, गवाहों का एक स्वतंत्र, स्पष्ट और निडर बयान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह देखते हुए कि भारत में गवाहों या परिवार के सदस्यों की जान, प्रतिष्ठा, संपत्ति या उनके उत्पीड़न या आरोपी द्वारा या उनकी ओर से धमकी के कारण, गवाह मुकर जाते हैं और अभियुक्त रिहा हो जाते हैं, पीठ ने आगे कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण और कानून के शासन का संरक्षण संभव नहीं है यदि राज्य गवाहों को उनके स्वतंत्र, स्पष्ट और निडर बयान के लिए संरक्षण और समर्थन नहीं देता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि एक बार जब गवाह कानून की अदालत में सही ढंग से गवाही देने में सक्षम नहीं होते तो इसका परिणाम सजा की दर कम होती है और कई बार कठोर अपराधी भी सजा से बच जाते हैं और जघन्य अपराधों में एक अपराधी का बरी होना आपराधिक न्याय वितरण प्रणाली में जनता के विश्वास को हिला देता है।
नतीजतन, यह देखते हुए कि कुछ मामलों में आरोपी को बरी कर दिया गया है, क्योंकि गवाह मुकर गए हैं, केवल इस आधार पर उसका आपराधिक इतिहास गायब नहीं हो जाता, अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा, " इस तरह के एक अपराधी को अगर जेल से बाहर आने की अनुमति दी जाती है तो वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में होगा और गवाहों का स्वतंत्र, निष्पक्ष और सच्चा बयान असंभव होगा।"
इसी के साथ जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
अपीयरेंस
आवेदक के वकील : विवेक शर्मा, अभिषेक मयंक, हिरदेश कुमार यादव, शशांक कुमार, सुषमा यादव, विनोद कुमार यादव
विरोधी पक्ष के वकील: जीए, रत्नेंदु कुमार सिंह
केस टाइटल - रामू मल्लाह बनाम यूपी राज्य [CRIMINAL MISC. जमानत आवेदन संख्या 10996/2020
साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 91
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