जीएसटी एससीएन के कारण बताओ नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए: बॉम्बे हाई कोर्ट

Brij Nandan

8 Oct 2022 3:10 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि महाराष्ट्र माल और सेवा कर अधिनियम (एमजीएसटी अधिनियम) की धारा 73 (8) एक व्यक्ति को कारण बताओ नोटिस जारी करने से 30 दिनों में देय ब्याज के साथ कर के भुगतान करने की अनुमति देती है। यदि वह भुगतान नहीं करना चाहता है, तो वह 30 दिन की अवधि के भीतर कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल कर सकता है।

    जस्टिस के.आर. श्रीराम और जस्टिस ए.एस. डॉक्टर ने कहा कि कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए, निर्धारण अधिकारी द्वारा वैधानिक अवधि को मनमाने ढंग से 7 दिनों तक कम नहीं किया जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "प्रतिवादियों के अधिकारियों के ये कृत्य/चूक न्यायालय के पहले से ही बोझ तले दबे हुए हैं। मूल्यवान न्यायिक समय बर्बाद होता है क्योंकि इस तरह के अस्वीकार्य आदेश प्रतिवादी के अधिकारियों द्वारा पारित किए जा रहे हैं। अधिकारी उस कठिनाई को समझते या उसकी सराहना नहीं करते हैं जो कि आम लोगों के कारण है।"

    अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता एक वकील पर खर्च कर सकते हैं और अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं, लेकिन प्रत्येक याचिकाकर्ता वकील का खर्च उठाने और अदालत का दरवाजा खटखटाने में सक्षम नहीं होंगे और उनका पंजीकरण उन्हीं अधिकारियों द्वारा रद्द किया जा सकता है जिनके पास इस तरह के पेटेंट अवैध आदेश पारित किए हैं।

    अदालत ने विभाग को पीएम केयर्स फंड में दान के रूप में 10,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    "इस आदेश की एक प्रति सीबीआईसी और मुख्य राज्य कर आयुक्त, महाराष्ट्र को भेजी जाए, वे कम से कम किसी प्रकार का प्रशिक्षण और/या अभिविन्यास सत्र/पाठ्यक्रम आदि आयोजित कर सकें, ताकि वे अपने अधिकारियों को प्रचलित कानून और उसके तहत बनाए गए नियम के बारे में अवगत और शिक्षित कर सकें और उन्हें यह भी समझाएं कि 'प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों' का क्या अर्थ है।"

    अदालत ने इस आवश्यकता पर जोर दिया कि अधिकारियों को गंभीर रूप से अवैध आदेशों के कारण निर्धारिती के कारण होने वाले गंभीर पूर्वाग्रह से सावधान रहना चाहिए। अधिकारियों को इस तथ्य और जनता पर उनके आदेशों के प्रभाव और परिणामों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

    याचिकाकर्ता को दिनांक 2 मार्च 2022 को जारी नोटिस जारी कर 9 मार्च 2022 तक यानी जवाब देने के लिए 7 दिनों की अवधि दी गई थी, जो एमजीएसटी नियम, 2017 के विपरीत थी।

    एमजीएसटी अधिनियम की धारा 73(8) के अनुसार, कारण बताओ नोटिस जारी होने से 30 दिनों की अवधि एक व्यक्ति को धारा 73 के तहत कर के तहत राशि का भुगतान करने के लिए दी जाती है। कारण बताओ नोटिस में जवाब दाखिल करने के लिए कम से कम 30 दिन का समय देना चाहिए।

    अदालत ने कहा कि आदेश गलत था क्योंकि कारण बताओ नोटिस में नोटिस का जवाब देने के लिए केवल 7 दिन का समय दिया गया था और 8 वें दिन आदेश पारित किया गया था। इसलिए नोटिस जारी होने के 30 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता।

    केस टाइटल: शीतल दिलीप जैन बनाम महाराष्ट्र राज्य एंड अन्य।

    साइटेशन: रिट याचिका (एल) संख्या 17591 ऑफ 2022

    दिनांक: 20.09.2022

    याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट राहुल सी. ठाकर

    प्रतिवादी के लिए वकील: एजीपी ज्योति चव्हाण

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:




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