नीलगिरी कोर्ट में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी के बारे में मीडिया रिपोर्ट गलत, इससे न्यायपालिका का नकारात्मक चित्रण हुआ : सुप्रीम कोर्ट

Sharafat

10 July 2023 2:13 PM GMT

  • नीलगिरी कोर्ट में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी के बारे में मीडिया रिपोर्ट गलत,  इससे न्यायपालिका का नकारात्मक चित्रण हुआ : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि तमिलनाडु जिले के नीलगिरी जिला न्यायालय परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी के बारे में मीडिया रिपोर्ट गलत थी। मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा महिला वकीलों के लिए दी गई सुविधाओं का संकेत देने वाली एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट के बारे में नाराजगी व्यक्त की, जिसमें कहा गया कि इसके परिणामस्वरूप न्यायपालिका और विशेष रूप से मद्रास हाईकोर्ट का "नकारात्मक चित्रण" हुआ।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह मुद्दा अंततः वकीलों के दो संघों के बीच प्रतिद्वंद्विता से उत्पन्न हुआ है। जबकि महिला वकील संघ नीलगिरि (डब्ल्यूएलएएन) ने दावा किया कि महिलाओं के लिए शौचालय सुविधाओं की कमी थी, आधिकारिक संघ नीलगिरि जिला बार एसोसिएशन (एनडीबीए) ने दावे का खंडन किया।

    पिछले महीने एक ऑनलाइन पोर्टल की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कि महिला वकीलों के पास शौचालय सुविधाओं की कमी है, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सोमवार को हाईकोर्ट की रिपोर्ट का जिक्र करने के बाद टिप्पणी की कि जिस तरह से इस मुद्दे को मीडिया में ले जाया गया, उससे वह निराश है।

    सीजेआई ने टिप्पणी की,

    " स्पष्ट रूप से जिस तरह से यह मीडिया में किया गया उससे मैं परेशान हूं और तथ्यों के विपरीत कुछ कहकर मद्रास हाईकोर्ट को बहुत खराब रोशनी में चित्रित करने की कोशिश की गई। वे बार के सदस्य हैं इसलिए हम कोई भी सख्त कदम नहीं ले रहे हैं। वैसे भी अब हम इसे बंद कर रहे हैं। दो प्रतिद्वंद्वी वर्गों की लड़ाई के बीच, हाईकोर्ट को खराब रोशनी में चित्रित किया गया।"

    शुरुआत में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कहा कि एक एरिया में बार रूम के साथ-साथ शौचालय सुविधाओं के लिए भी उपलब्ध कराया गया था। अदालत ने मामले पर विस्तृत विचार किया। अदालत ने जोड़ा-

    " उन्होंने महिलाओं के लिए पर्याप्त शौचालय उपलब्ध कराए हैं।"

    जब WLAN के वकील दावे पर अड़े रहे तो सीजेआई ने कहा कि वह तथ्य-खोज के लिए दो वकीलों का एक आयोग नियुक्त करने को तैयार हैं।

    सीजेआई ने चेतावनी दी,

    "मैं सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों का एक आयोग नियुक्त करने और पता लगाने को तैयार हूं। लेकिन अगर हमें पता चला कि शौचालय हैं, तो हम 10 लाख का जुर्माना लगाएंगे, क्योंकि तब यह एक तुच्छ याचिका होगी और इससे न्यायपालिका की छवि बहुत खराब होगी।”

    नीलगिरी की महिला वकील एसोसिएशन के वकील ने अपनी दलीलें जारी रखीं।

    " महिलाओं के लिए कोई शौचालय नहीं है! एक आयोग का गठन करें मेरे माईलॉर्ड। महिला वकील यहां हैं। उन्होंने रिपोर्ट सुनी है। वे एक आयोग नियुक्त करने के लिए कह रहे हैं। गलत पाए जाने पर वे जुर्माने का भुगतान करने को तैयार हैं। "

    एनडीबीए की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी मोहना ने डब्ल्यूएलएएन के दावों का खंडन किया।

    आख़िरकार पीठ इस विचार पर पहुंची कि मामला एसोसिएशन के बीच विवादों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन में 45 महिलाएं हैं और 6-7 सदस्यों ने एक और एसोसिएशन बनाया है जो मान्यता प्राप्त नहीं है। मद्रास हाईकोर्ट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गुरु कृष्णकुमार ने याचिका का विरोध किया और अदालत को बदनाम करने वाली मीडिया रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता से कहा,

    " रजिस्ट्रार जनरल की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, आपको अब शौचालय उपलब्ध कराया गया है। रिपोर्ट इंगित करती है कि क्षेत्र को बार रूम के साथ-साथ शौचालय सुविधाओं के रूप में भी उपलब्ध कराया गया है। रिपोर्ट को देखते हुए, इसे आगे बढ़ाना आवश्यक नहीं है। इसका निपटान यहीं किया जाता है।"

    जब वकील ने आगे जोर दिया तो मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की-

    " वहां दो कमरे दिए गए हैं, साथ ही वॉशरूम भी। बार रूम भी उनके लिए उपलब्ध है। आप अपनी शिकायत के निपटारे के लिए इस कोर्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकते...रजिस्ट्रार जनरल ने कहा है कि उन्हें दो कमरे दिए गए थे और उन्हें स्वीकार नहीं किया गया।"

    केस टाइटल : नीलगिरी की महिला वकील एसोसिएशन बनाम रजिस्ट्रार, मद्रास हाईकोर्ट और अन्य एमए 1378/2023 डब्ल्यूपी(सी) नंबर 511/2023

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