"वह अन्य मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना सकता है; समाज के लिए गंभीर खतरा": पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

16 July 2021 11:28 AM GMT

  • वह अन्य मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना सकता है; समाज के लिए गंभीर खतरा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आठ साल के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार किया कि अगर उसे रिहा किया गया तो वह अन्य मासूस बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना सकता है।

    न्यायमूर्ति एचएस मदान की एकल न्यायाधीश पीठ ने आरोपी को समाज के लिए एक गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि,

    "आरोपी ने अपने घृणित कृत्यों से एक छोटे बच्चे के जीवन को खराब कर दिया है। याचिकाकर्ता एक यौन पागल निकला, खुद एक किशोर, विकृत यौन कृत्यों में लिप्त है। उसके इस तरह के आचरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि जमानत पर रिहा होने पर, वह कई अन्य मासूम बच्चों को अपनी हवस का शिकार बना सकता है और यह समाज के लिए एक गंभीर खतरा है।"

    आईपीसी की धारा 377, 511 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 4 के तहत दर्ज प्राथमिकी के संबंध में आरोपी द्वारा नियमित जमानत याचिका दायर की गई थी।

    आरोपियों के खिलाफ आरोप है कि इसी साल 1 जनवरी को वह दूसरी कक्षा के बच्चे को पैसे का लालच देकर एक खेत में बने कमरे में ले गया, जहां उसने अपनी पतलून उतारी और कथित तौर पर बच्चे के साथ दुष्कर्म किया था।

    इसके बाद पीड़िता ने अपने पिता को घटना के बारे में बताया जिसके बाद उसका चिकित्सकीय जांच किया गया। इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।

    विशेष न्यायाधीश ने 27 जनवरी के आदेश के तहत आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

    न्यायालय ने प्रस्तुतियां सुनकर और मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए कहा कि,

    "याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर हैं और आठ साल की छोटी उम्र के बच्चे के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का प्रयास करने के लिए गंभीर हैं, जिससे उसे बुरे सपने और दर्दनाक अनुभव से गुजरना पड़ता है जो उसे जीवन भर परेशान कर सकता है।"

    अदालत ने देखा कि मामले में लंबित मुकदमे को नियमित जमानत देने का कोई आधार नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने तदनुसार याचिका खारिज कर दी।

    केस का शीर्षक: मनप्रीत सिंह बनाम पंजाब राज्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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