हिन्दू विवाह कानून के तहत न्यूनतम आयु सीमा का उल्लंघन करके की गयी शादी रद्द करने योग्य होती है, निष्प्रभावी नहीं : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

17 Jun 2020 12:09 PM GMT

  • हिन्दू विवाह कानून के तहत न्यूनतम आयु सीमा का उल्लंघन करके की गयी शादी रद्द करने योग्य होती है, निष्प्रभावी नहीं : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को यह कहते हुए हिन्दू दंपती के विवाह पंजीकरण का संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा पांच के तहत आयु प्रतिबंधों का उल्लंघन करके की गयी शादी निष्प्रभावी नहीं होती।

    न्यायमूर्ति सुधीर मित्तल ने कहा,

    "हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि यदि उम्र के प्रतिबंधों को दरकिनार करके शादी की जाती है तो वह निष्प्रभावी किये जाने योग्य होती है। हालांकि दोनों में से किसी पक्ष ने इस विवाह को समाप्त करने की अर्जी नहीं दी है। दरअसल, दोनों पक्ष अपनी शादी को पंजीकृत करने का अनुरोध कर रहे हैं। कानून की नजर में यह शादी वैध है और इसके पंजीकरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है।"

    इस मामले के तथ्यों के अनुसार, दोनों याचिकाकर्ताओं ने 2015 में एक-दसूरे से शादी कर ली थी। उस वक्त दुल्हे की उम्र हिन्दू विवाह कानून की धारा 5(3) के तहत शादी की न्यूनतम कानूनी उम (21 वर्ष) से कम थी।

    विवाह पंजीकरण की अर्जी 2019 में तब दाखिल की गयी थी, जब वर-वधु शादी की वैध उम्र हासिल कर चुके थे।

    कोर्ट ने कहा कि दोनों में से किसी भी पक्ष ने शादी को समाप्त करने का अनुरोध नहीं किया था, इसलिए अधिकारियों को विवाह का पंजीकरण करना चाहिए था। बेंच ने याचिकाकर्ताओं की इन दलीलों से सहमति जतायी कि यदि याचिकाकर्ताओं में से किसी ने भी विवाह को निरस्त करने का अनुरोध नहीं किया है तो विवाह के पंजीकरण में कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है।

    बेंच ने कहा कि इस संबंध में 'बलजीत कौर बोपराई बनाम पंजाब सरकार एवं अन्य, 2008 (3) आरसीआर (सिविल) 109' मामले में कानून का निर्धारण हो चुका है, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि वर, वधु दोनों के बालिग होने की स्थिति में विवाह का पंजीकरण स्वीकार करना होगा।

    कोर्ट ने विवाह पंजीकरण पर जोर देते हुए कहा था,

    "विवाह पंजीकरण के समय दोनों पक्षों के 21 साल की उम्र पूरी करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि शादी के परिणामस्वरूप हुए बच्चे की कस्टडी और बच्चों के अधिकार के मामले में ये साक्ष्यपरक महत्व रखते हैँ।"

    गौरतलब है कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 11 के तहत धारा 5(3) का उल्लंघन किसी शादी को निष्प्रभावी घोषित करने की शर्त नहीं है। वास्तव में, बाल विवाह निरोधक कानून के तहत भी नाबालिगों के बीच हुई शादी को अवैध घोषित नहीं किया जाता। बाल विवाह निरोधक कानून की धारा तीन के तहत भी यदि दुल्हा दुल्हन नाबालिग हैं तो भी शादी केवल निष्प्रभावी करने योग्य हो सकती है।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 'जितेन्द्र कुमार शर्मा बनाम राज्य सरकार एवं अन्य' के मामले में भी इस पर जोर देते हुए कहा था,

    "यह स्पष्ट है कि जहां, पहले, बाल विवाह निरोधक अधिनियम की धारा तीन के आधार पर हिन्दू विवाह कानून की तरह ही पर्सनल लॉ के तहत भी बाल विवाह को निष्प्रभावी नहीं किया जा सकता, जब तक कि दोनों पक्ष में से कोई एक पक्ष खास तौर पर ऐसा चाहता हो, लेकिन वर-वधु में से किसी एक पक्ष के अलावा कोई और शादी तोड़ने के लिए अर्जी नहीं दे सकता।"

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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