मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान ताजा हिंसा भड़काने के आरोपी पूर्व विधायक, दो अन्य को जमानत देने से इनकार किया
Sharafat
21 Sept 2023 4:43 PM IST
मणिपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य में सांप्रदायिक झड़प की अस्थिर स्थिति के दौरान मिश्रित समुदायों वाले इंफाल के एक इलाके में ताजा हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार राज्य के पूर्व विधायक (टी थांगज़लम हाओकिप) सहित तीन लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस ए. गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोपों पर ध्यान देते हुए कहा कि यदि सुरक्षा बलों ने समय रहते इसे नहीं रोका होता तो इस घटना से क्षेत्र में नई हिंसा भड़कने की संभावना थी।
संक्षेप में मामला
अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, 22 मई, 2023 को, पूर्व विधायक टी थंगज़ालम हाओकिप की शह पर आरोपी व्यक्ति चेकोन ट्राइबल मार्केट, इम्फाल पूर्व में पहुंचे और विक्रेताओं को धमकी देकर उक्त क्षेत्र की शांति भंग कर दी। बाजार में बैठे विभिन्न जातीय समूहों के लोगों को तुरंत जगह खाली करने को कहा गया है।
आरोपी व्यक्तियों ने इलाके के आसपास महिला विक्रेताओं और दुकानदारों को भी दुकानें और विक्रेता बंद करने के लिए धमकाया। आरोपी व्यक्तियों ने कथित तौर पर क्षेत्र के विभिन्न समुदायों की महिला विक्रेताओं के लिए अपमानजनक और घृणास्पद शब्दों का भी इस्तेमाल किया और इस तरह, उक्त क्षेत्र में उच्च तनाव उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप विभिन्न जातीय समूहों से संबंधित दुकानें और विक्रेता उत्तेजित हो गए और गुस्से में भारी भीड़ ने न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में घुसने की कोशिश की।
इससे पहले निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने अदालत में दलील दी कि उनके खिलाफ आरोप मणिपुर में हो रहे संघर्ष के कारण झूठे प्रचार पर आधारित हैं।
दूसरी ओर राज्य सरकार ने एक जवाबी हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि आरोपी व्यक्तियों ने कथित अपराधों में अपनी भूमिका स्वीकार की है और यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वे अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित/धमकी दे सकते हैं और जांच में बाधा डाल सकते हैं।
अंत में यह प्रस्तुत किया गया कि इस घटना के कारण इस संवेदनशील क्षेत्र में ताजा हिंसा भड़क गई थी और राज्य सरकार को अस्थिर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इस क्षेत्र में लंबी अवधि के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और इसलिए, वे जमानत दिए जाने के हकदार नहीं हैं।
हाईकोर्ट की टिप्पणियां
अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा कि तथ्य यह है कि जब्ती की स्वीकार्यता और सह-अभियुक्तों की स्वीकारोक्ति की जांच मुकदमे के दौरान की जाएगी और यह उचित नहीं होगा कि जमानत आवेदनों पर इस स्तर पर समय से पहले विचार हो। .
अदालत ने आगे कहा कि आरोपी के खिलाफ शिकायत की पुष्टि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए गवाहों के बयानों से होती है और आरोपी की सुरक्षा भी सर्वोपरि है।
इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए इस न्यायालय को आरोपी व्यक्तियों को जमानत पर रिहा करने के लिए उचित आधार नहीं मिला। तदनुसार, जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
A1 के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के संबंध में दायर याचिका पर अदालत ने स्पष्ट किया कि वह उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर कोई राय व्यक्त कर रही है और इसलिए यदि सलाह दी गई तो वह चिकित्सा आधार पर जमानत के लिए उचित फोरम पर जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
केस टाइटल - विक्की मंगुलाम सिंगसन बनाम प्रभारी अधिकारी, पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन और संबंधित मामले
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