मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप केस में सबूत छुपाने वाले पुलिस अफसर के खिलाफ जांच के आदेश दिए
LiveLaw News Network
25 March 2022 12:09 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की डायरी में कथित बलात्कार की वीडियो क्लिप के बारे में जानकारी प्रस्तुत नहीं करने और सबूत छिपाने के लिए एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच का निर्देश दिया। इस सबूत को एडवोकेट जनरल ऑफिस को भेजा गया था।
जस्टिस विवेक अग्रवाल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और धारा 506, पॉक्सो अधिनियम की धारा 3, 4 और धारा एससी एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की 3 (1) (डब्ल्यू) (ii), 3 (2) (v) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67, 67 (ए) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आवेदक द्वारा दायर जमानत आवेदन पर विचार कर रहे थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आवेदक पीड़िता को जानता है और उसने उसके साथ बलात्कार किया। उसने उसका वीडियो बनाया और उसे किसी से इस बारे में बात न करने की धमकी दी। बाद में पीड़िता को उक्त वीडियो उसके मोबाइल फोन पर प्राप्त हुआ। फिर उसने इसे अपनी मां को दिखाया जो उसे अपराध दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन ले गई।
न्यायालय ने पक्षकारों की दलीलों की जांच करते हुए इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि अभियोजन पक्ष द्वारा पुलिस के समक्ष वीडियो क्लिप पेश करने के बावजूद, उसे केस डायरी का हिस्सा नहीं बनाया गया।
न्यायालय ने आदेश दिनांक 22.03.2022 के द्वारा पुलिस को इस चूक के लिए स्पष्टीकरण करने का निर्देश दिया,
पुलिस को जवाब देना होगा कि जब पीड़िता को मोबाइल के रूप में वीडियो प्राप्त हुआ और उसने पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया तो वीडियो को डाउनलोड क्यों नहीं किया गया। उसे केस डायरी का हिस्सा बना दिया गया। जांच अधिकारी को 24.03.2022 को इस न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि वीडियो को मोबाइल से पुनर्प्राप्त क्यों नहीं किया गया और इसे केस डायरी का हिस्सा बना दिया गया।
सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत ने जांच अधिकारी की दलीलों को नोट किया और पाया कि प्रथम दृष्टया पुलिस अधिकारी जिसने केस डायरी को एजी के कार्यालय को भेजा, वह सबूतों को छिपाने का दोषी है, ताकि आरोपी की जमानत मिल सके।
यह स्पष्ट है कि पुलिस थाना स्लीमनाबाद, जिला कटनी के टीआई प्रथम दृष्टया सही तथ्यों को छिपाने और दस्तावेज (दस्तावेजों) की प्रासंगिक प्रतियों को अग्रेषित नहीं करने का दोषी है, जो सक्षम न्यायालय के समक्ष 12.10.2021 को दायर किया गया, जबकि केस डायरी 3.2.2022 को महाधिवक्ता के कार्यालय में प्राप्त किया गया।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ जांच का निर्देश दिया,
उप पुलिस महानिरीक्षक, जबलपुर अंचल, जबलपुर टी.आई. स्लीमनाबाद, जिला कटनी, जिन्होंने अपराध संख्या 424/2021 से संबंधित अधूरी केस डायरी को अग्रेषित किया। इसमें सामग्री दस्तावेज (दस्तावेजों) को छिपाना है ताकि आरोपी की जमानत की सुविधा हो और एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट प्रधान रजिस्ट्रार (न्यायिक) के माध्यम से प्रस्तुत की जा सके।
जमानत याचिका को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया गया।
केस शीर्षक: शिवकुमार कुशवाहा बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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