मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जाति से बाहर शादी करने वाली महिला के लिए पुलिस सुरक्षा का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

23 March 2022 6:30 AM GMT

  • मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जाति से बाहर शादी करने वाली महिला के लिए पुलिस सुरक्षा का निर्देश दिया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में जाति से बाहर शादी करने वाली महिला को पुलिस सुरक्षा का निर्देश दिया। महिला को उसके माता-पिता द्वारा धमकी दी जा रही है।

    जस्टिस विशाल मिश्रा रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इसमें याचिकाकर्ता ने अपने, अपने पति और अपने ससुराल वालों के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की। उसने अपने पति के लिए ट्रांजिट जमानत की भी मांग की ताकि वह गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के जेएमएफसी की अदालत में पेश हो सके।

    याचिकाकर्ता का मामला यह है कि उसने बालिग होने के कारण अपनी मर्जी से शादी की। उसका पति उसकी जाति का नहीं है। दंपति ने अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत कराया। हालांकि, उसके माता-पिता अंतरजातीय विवाह से नाखुश है, इसलिए उन्होंने उसके पति के खिलाफ जिला सुरेंद्रनगर में एक झूठा मामला दर्ज किया। संबंधित जेएफएमसी ने उनके पति के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 97 के तहत वारंट भी जारी किया।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह अपना बयान दर्ज करने के लिए संबंधित जेएफएमसी के सामने पेश होने और इस तथ्य को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है कि उसके माता-पिता ने उसके पति पर झूठा आरोप लगाया है। लेकिन अपने परिवार के सदस्यों की धमकियों और आतंक के कारण वह ऐसा करने में असमर्थ है।

    लता सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए उसने जोर देकर कहा कि उसके द्वारा उठाई गई चिंताओं को देखते हुए वह और उसका पति पुलिस सुरक्षा के पात्र हैं।

    राज्य ने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र का सवाल उठाया, क्योंकि याचिकाकर्ता के पति के खिलाफ मामला गुजरात में दर्ज है, लेकिन उसे अदालत ने खारिज कर दिया।

    मामले के तथ्यात्मक मैट्रिक्स की जांच करते हुए कोर्ट ने माना कि लता सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष में पूरी तरह से लागू है।

    यह विवादित नहीं है कि याचिकाकर्ता के साथ-साथ उसका पति भी बालिग है और उसने अपना विवाह कर लिया है, जिसे 10.09.2021 को पंजीकृत किया गया है। उसने यह भी कहा कि वह पुलिस सुरक्षा का खर्च वहन करने के लिए तैयार है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, सुरेन्द्रनगर (गुजरात) द्वारा आपराधिक मामला दर्ज करने और वारंट जारी करने को भी प्रतिबिंबित किया गया है।

    ऐसी परिस्थितियों में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लता सिंह (सुप्रा) के मामले में पारित निर्णय पर विचार करते हुए यह न्यायालय प्रतिवादी नंबर तीन को मामले को देखने और उचित कदम उठाने का निर्देश देते हुए इस याचिका का निपटान करना उचित समझता है। याचिकाकर्ता को 01.04.2022 को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, सुरेंद्रनगर (गुजरात) के न्यायालय में उपस्थित होने के लिए सुरक्षा प्रदान करें।

    केस शीर्षक: गड़िया सेजल बेन वी मध्य प्रदेश राज्य

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