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महिलाओं को हेलमेट पहनने से मिली छूट ख़त्म करेगी मध्य प्रदेश सरकार, एजी ने हाईकोर्ट में कहा

LiveLaw News Network
10 March 2020 7:00 AM GMT
महिलाओं को हेलमेट पहनने से मिली छूट ख़त्म करेगी मध्य प्रदेश सरकार, एजी ने हाईकोर्ट में कहा
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Madhya Pradesh High Court

मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को हाईकोर्ट की एक खंडपीठ को कहा कि राज्य में महिलाओं के लिए हेलमेट पहनने को अनिवार्य करने के बारे में "सिद्धांततः" निर्णय ले लिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके मित्तल और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ एनएलआईयू, भोपाल के एक छात्र हिमांशु दीक्षित की याचिका पर सुनवाई की जिसमें मध्य प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1994 के नियम 213(2) के तहत हेलमेट पहनने से मिली छूट के कारण महिला दुपहिया चालकों को होने वाले ख़तरे का ज़िक्र किया गया है।

मोटर वाहन अधिनियम 1988, के अनुसार दुपहिया वाहन के चालकों को हेलमेट लगाना अनिवार्य है, पर यह नियम राज्य के महिलाओं पर लागू नहीं होता।

"इस अधिनियम की धारा 129 किसी महिला या ऐसे बच्चों पर लागू नहीं होगा जिसकी उम्र 12 साल से अधिक नहीं है।

दीक्षित ने मध्य प्रदेश में दुपहिया वाहनों की दुर्घटना में मरनेवाली महिलाओं की संख्याओं का ज़िक्र अपनी याचिका में किया है ताकि वे इस मुद्दे पर प्रकाश डाल सकें कि यह कितनी भयावह है।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि महिलाएं और पुरुष दोनों ही दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं और महिलाओं को हेलमेट पहनने से छूट देकर उन्हें एक तरह से मौत की मुंह में धकेल दिया है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह नियम मनमाना है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15(1) और 21 का उल्लंघन करता है। यह भी कहा गया कि यह इस अधिनियम का एक ग़लत नियम है।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि इस नियम से आम लोगों में भ्रम की स्थिति बनी है क्योंकि ज़िला प्रशासन का "हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं" का नियम महिलाओं पर भी लागू है। यहां तक कि राज्य के ट्रैफ़िक विभाग ने महिला दुपहिया चालकों के चालान भी काटे हैं जो राज्य पुलिस और इस नियम के बारे में भ्रम को बढ़ाता है।

एडवोकेट जनरल शशांक शेखर ने कहा कि राज्य सरकार नियम में संशोधन करना चाहती है और उन्होंने इस मामले में स्थगन की मांग की।

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