वर्चुअल हियरिंग में निचली अदालतों को पेश आने वाली क़ानूनी और तकनीकी अड़चनों के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

LiveLaw News Network

31 May 2020 7:31 AM GMT

  • वर्चुअल हियरिंग में निचली अदालतों को पेश आने वाली क़ानूनी और तकनीकी अड़चनों के मामले पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया है ताकि ज़िला और निचली अदालतों को 1 जून से वर्चुअल हियरिंग में पेश आने वाले मुद्दों को दूर किया जा सके। इन अदालतों में 1 जून से हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सीमित रूप से कार्य शुरू होना है।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और जस्टिस सूरज गोविन्दराज की खंडपीठ ने कहा,

    "ऐसे बहुत सारे मुद्दे उठेंगे जिनको दूर करना ज़रूरी होगा क्योंकि राज्य में ज़िला और निचली अदालतों को पुराने रूप में काम में लौटने में अभी वक़्त लगेगा, इसलिए हमने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह इस बारे में एक जनहित याचिका दायर करें ताकि उपरोक्त मुद्दों पर ग़ौर किया जा सके और इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस अदालत से आवश्यक निर्देश लिया जा सके।"

    अदालत ने उदाहरण देते हुए कहा,

    "ऐसा एक मुद्दा है न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत का सीसीपी की धारा 200 के तहत शिकायत दर्ज करने के दौरान शिकायतकर्ता के अदालत में मौजूद होने पर जोर डालना है…इसी तरह का मुद्दा उठेगा तब जब कोई व्यक्ति वैवाहिक मामलों से संबंधित याचिका दायर करेगा उआर उसको ख़ुद अदालत में मौजूद होने की बात कही जाएगी।"

    अदालत ने कहा,

    "एक अन्य मुद्दा होगा कि क्या किसी के ख़िलाफ़ आरोप निर्धारित करने के लिए वीडियो कंफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हो सकती है। इस समय जो अन्य महत्त्वपूर्ण बात है वह है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिमांड की प्रक्रिया है।

    COVID-19 महामारी फैलने के पहले लोक अदालत की सुनवाई नियमित रूप से नहीं होती थी, इसलिए मामला यह है कि क्या लोक अदालत की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हो सकती है। यद्यपि मध्यस्थता/सुलह की बैठकों में गोपनीयता बनाये रखना अहम बात होती है, मुद्दा यह है कि सभी तरह की सुरक्षात्मक क़दम उठाने के बाद क्या मध्यस्थता/सुलह की बैठक वीडियो कंफ्रेंसिंग के माध्यम से हो सकती है।"

    अदालत ने रजिस्ट्री से कहा है कि इस मामले में वह कर्नाटक राज्य, भारत संघ, कर्नाटक राज्य बार काउंसिल और कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी थोड़े समय के लिए प्रतिवादी बनाए। अदालत ने वक़ील उदय होल्ला और सीवी नागेश को इस मामले में अमिकस क्यूरी की भूमिका निभाने को कहा है।



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