वकीलों की हड़ताल : दावणगेरे बार एसोसिएशन के माफी मांगने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही रद्द की
LiveLaw News Network
12 Aug 2021 11:06 AM IST
कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को दावणगेरे जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ दायर स्वत: संज्ञान आपराधिक अवमानना याचिका को खारिज कर दिया।
यह कार्यवाही कोर्ट के काम से दूर रहने के लिए अपने सदस्यों को एसोसिएशन की हड़ताल के आह्वान पर स्वत: संज्ञान पर आधारित थी।
मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एनएस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने पूर्व कप्तान हरीश उप्पल बनाम भारत संघ और अन्य और कृष्णकांत ताम्रकर बनाम मध्य प्रदेश राज्य के मामले में बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा दी गई बिना शर्त माफी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के उनके वचन को स्वीकार कर लिया।
पीठ को इसके साथ ही आश्वासन दिया गया कि अब से अदालतों का बहिष्कार नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
"आरोपी द्वारा दिए गए वचनों को स्वीकार किया जाता है और रिकॉर्ड में लिया जाता है। आरोपी द्वारा दी गई माफी स्वीकार की जाती है और याचिका का निपटारा किया जाता है।"
हाल ही में अदालत ने मद्दुर, मांड्या, पांडवपुरा, मालवल्ली और कृष्णराजपेट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही का निपटारा किया था।
अवमानना की कार्यवाही शुरू करते हुए फरवरी में जारी अपने आदेश में अदालत ने कहा था,
"यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि COVID-19 के मद्देनजर, सभी अदालतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे वादियों के साथ-साथ कोर्ट के स्टाफ और बार के सदस्यों को भी परेशानी हुई। अब जब सामान्य स्थिति काफी हद तक बहाल हो गई है, बार एसोसिएशन हड़ताल/बहिष्कार का सहारा नहीं ले सकते हैं।"
पीठ ने निर्देश जारी करते हुए रजिस्ट्री द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को ध्यान में रखा। इस रिपोर्ट में विभिन्न जिलों में बार एसोसिएशनों का विवरण दिया गया था, जिन्होंने अपने सदस्यों को अदालत के काम से दूर रहने का आह्वान किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, जिला मांड्या बार एसोसिएशन ने चार जनवरी, 2021 को अदालती काम से परहेज किया। मद्दुर बार एसोसिएशन ने चार जनवरी और छह फरवरी को अदालती काम से दूर रहने का आह्वान किया।
पांडवपुरा बार एसोसिएशन ने चार, 15 और 30 जनवरी को अदालती काम से परहेज किया।
दावणगेरे बार एसोसिएशन ने 29 जनवरी और 8 फरवरी को अदालत के काम से परहेज किया।
मुख्य न्यायाधीश ओका ने इससे पहले, इन घटनाओं के कारण संबंधित बार एसोसिएशनों के सदस्यों से अपील की थी कि वे अदालती कार्यवाही और अदालती कार्यों के बहिष्कार में शामिल न हों, चाहे कारण की वास्तविकता कुछ भी हो।
मुख्य न्यायाधीश ने संबंधित हितधारकों को इस तरह की अवैधताओं में शामिल न होने की चेतावनी भी दी थी।
वहीं, श्रीरंगपटना बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही अभी भी लंबित है।