लॉ स्टूडेंट को पुलिस हिरासत में पीटने का मामला: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग को जांच के आदेश दिए

Brij Nandan

25 Oct 2022 5:54 AM GMT

  • पुलिस हिरासत

    पुलिस हिरासत

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य मानवाधिकार आयोग को एक लॉ स्टूडेंट के छात्र के मामले की जांच करने का आदेश दिया है, जिसे कथित तौर पर पुलिस हिरासत में पीटा गया। दरअसल, उसकी बहन के घर से इस बहाने से पुलिस लेकर आई कि उससे हत्या के एक मामले में जांच के लिए पूछताछ करनी है।

    इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला मानते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने आयोग से तीन महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने को कहा।

    पीठ एक 62 वर्षीय व्यक्ति द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि उसके बेटे (लॉ स्टूडेंट) को पुलिस हिरासत में पीटा गया और उसके बाद उसने पुलिस को 2 लाख रुपए रिश्वत दी। फिर बेटे को संबंधित पुलिस अधिकारी ने रिहा किया।

    कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब उसका बेटा पुलिस हिरासत में था, उस दौरान परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह और अन्य, (2021) 1 एससीसी 184 मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए सीसीटीवी कैमरे पुलिस थाने में काम नहीं कर रहे थे।

    संबंधित अवधि के दौरान सीसीटीवी के काम न करने के बारे में पूछे जाने पर, राज्य के वकील ने कहा कि कैमरा 25 फरवरी, 2022 से काम नहीं कर रहा था, हालांकि, वह 25/2/2022 को तुरंत कैमरे को ठीक करने के लिए उठाए गए कदमों को निर्दिष्ट नहीं कर सका और 02/03/2022 तक यह ठीक क्यों नहीं की जा सकी, जिस अवधि के दौरान पुलिस अधिकारियों पर क्रूरता के गंभीर आरोप लगे हैं।

    यह देखते हुए कि प्रथम दृष्टया यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला है, न्यायालय ने इस प्रकार टिप्पणी की,

    "पुलिसकर्मी संविधान और संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा की शपथ के खिलाफ तर्कहीन व्यवहार कर रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे का रखरखाव ठीक से नहीं किया जा रहा है ताकि पुलिस कर्मियों की ओर से की गई चूक को कवर किया जा सके और क्रूरता और रिश्वत के आरोपों को कवर किया जा सके।"

    साथ ही कोर्ट ने एम.पी. मानवाधिकार आयोग से तीन महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने को कहा और कहा कि अगर आरोप सही पाए गए तो पीड़िता को मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश दें।

    कोर्ट ने कहा,

    "यह अभ्यास याचिकाकर्ता द्वारा लोकायुक्त को प्रतिवादी संख्या 5 के खिलाफ रिपोर्ट किए गए मामले के अतिरिक्त होगा, जो केवल रिश्वत की मांग और प्रतिवादी संख्या 5 और 6 द्वारा रिश्वत की स्वीकृति के आरोपों के संबंध में स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा।"

    कोर्ट ने इस प्रकार याचिका का निपटारा किया।

    केस टाइटल - त्रिभुवन नाथ मिश्रा बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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