POCSO मामलों की जांच में पेशेवर दक्षता का स्पष्ट अभाव : केरल हाईकोर्ट जारी करेगा दिशानिर्देश

LiveLaw News Network

21 Aug 2020 5:41 AM GMT

  • POCSO मामलों की जांच में पेशेवर दक्षता का स्पष्ट अभाव : केरल हाईकोर्ट जारी करेगा दिशानिर्देश

    केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि POCSO (बाल यौन अपराधों से संरक्षण) मामलों की जांच में पेशेवर अंदाज की स्पष्ट कमी नजर आती है।

    न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने एक आपराधिक अपील पर विचार करते हुए कहा कि वह पॉक्सो मामलों में जांच और ट्रायल को लेकर कुछ सामान्य दिशानिर्देश जारी करेंगे। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 अगस्त की तारीख मुकर्रर करते हुए राज्य के लोक अभियोजक (सरकारी वकील) और केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी किये।

    कोर्ट ने कहा कि वह इस क्षेत्र में न्यायिक डिलीवरी की गुणवत्ता को लेकर चिंतित है।

    कोर्ट ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब उसे ज्ञात हुआ कि अप्रैल 2015 में राज्य सरकार द्वारा तय किये गये दिशानिर्देश पब्लिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने कहा कि POCSO मामलों की जांच वैसे पुलिस अधिकारियों द्वारा की जा रही है जो बच्चों से जुड़े संवेदनशील मामलों में पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों से बर्ताव को लेकर जानकार या प्रशिक्षित नहीं हैं।

    "जांच में पेशेवराना अंदाज का अभाव स्पष्ट झलकता है। इस कोर्ट ने सबूतों को प्रासंगिक बनाने के लिए पीड़ित की आयु के प्रमाण से संबंधित कानूनी साक्ष्य न इकट्ठा करने जैसे कई मौलिक दोष केवल एक नहीं बल्कि कई मामलों में पाये हैं।"

    कोर्ट ने कहा कि यद्यपि दिशानिर्देश इसे अनिवार्य बनाते हैं, लेकिन व्यावहारिक संकेतकों के जरिये यौन शोषण स्थापित करने या आघात के कारण पीड़ित के प्रतिशोधी व्यवहार की व्याख्या करने के वास्ते साक्ष्य इकट्ठा नहीं किये जाते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा मनोवैज्ञानिक और मनोरोग संबंधी परामर्श देने के लिए बयानों की सत्यता की जांच को लेकर भी कोई तंत्र नहीं अपनाया जा रहा है। कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़ित बच्चे को वकील उपलब्ध कराने के दिशानिर्देश के बावजूद POCSO अधिनियम के तहत किसी भी मुकदमे में पीड़ित बच्चे के साथ किसी वकील को नहीं देखा जाता है।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करेंं



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