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घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत संरक्षण अधिकारी के काम को आवश्यक सेवा में शामिल करें, जेजीएलएस के लीगल एड क्लीनिक ने गृह मंत्रालय को लिखा

LiveLaw News Network
3 May 2020 3:45 AM GMT
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत संरक्षण अधिकारी के काम को आवश्यक सेवा में शामिल करें, जेजीएलएस के लीगल एड क्लीनिक ने गृह मंत्रालय को लिखा
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जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) के लीगल एड क्लीनिक ने गृहमंत्रालय को लिखा है कि घरलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत संरक्षण अधिकारी के कार्य को आवश्यक सेवाओं में शामिल किया जाए।

इस बारे में लिखे गए पत्र में कहा गया है कि मार्च में दर्ज घरेलू हिंसा की कुल संख्या 63 थी जो कि अप्रैल में तेज़ी से बढ़कर 310 हो गई। इसी तरह एक महीने के भीतर गरिमा से रहने के अधिकार की श्रेणी के तहत दर्ज मामलों की संख्या 66 बढ़कर 216 हो गई।

पत्र में कहा गया है कि यह वृद्धि भी इस समस्य की वास्तविक विकरालता को नहीं दर्शाता है, क्योंकि घरेलू हिंसा के शिकार जो गरीब लोग हैं उन्हें अभी भी कोई मदद नहीं मिल रही है। आज भी भारी संख्या में महिलाओं को मोबाइल उपलब्ध नहीं है।

इन सदस्यों ने कहा है कि घरेलू हिंसा के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दृढ़ बयान का उल्लेख किया है कि इसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता।

पत्र में कहा गया है कि दूर दराज के इलाक़ों को ध्यान में रखते हुए आश्रय स्थल और हेल्पलाइन नंबर स्थापित की जानी चाहिए। घरेलू हिंसा से निपटने में आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद लेने की भी बात कही गई है।

संरक्षण अधिकारियों के मोबाइल नंबर को अख़बारों और स्थानीय टीवी नेटवर्क के माध्यम से प्रचारित किए जाने की बात की भी माँग की गई है। फ़्रांस और स्पेन की तरह 'मास्क-19' के प्रयोग को भारत में भी लोकप्रिय बानाने की बात कही गई है जिसके तहत दवा लेने के लिए फ़ार्मेसी में जाने पर महिलाएँ इस कोड का प्रयोग कर यह संकेत दे सकती हैं कि वे घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं और उन्हें मदद चाहिए।

इस स्थिति में संरक्षण अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है। यह सुझाव भी दिया गया है कि प्रिंट और डिजिटल मीडिया में सुरक्षा आधिकारियों का क्षेत्रवार ब्योरा प्रकाशित किया जा सकता है। इस बारे में आदेश जारी किया जा सकता है ताकि इनका पालन हो सके।

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