यदि पुलिस अधिकारी न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने में असमर्थ हैं तो वे अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य हैं: मद्रास हाईकोर्ट
Sparsh Upadhyay
23 Feb 2021 11:35 AM IST
यह देखते हुए कि जब एडवोकेट कमिश्नर संपत्ति का निरीक्षण करने गए थे, तो कुत्तों को छोड़ दिया गया था और पुलिस सुरक्षा के बावजूद कोई भी संपत्ति में प्रवेश नहीं कर सका, सोमवार (22 फरवरी) को मद्रास उच्च न्यायालय ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरन और न्यायमूर्ति पी. डी. आदिकेशवल्लू की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,
"अदालत के आदेशों का अक्षर और भावना में लागू/ अनुपालन किया जाना है। यदि अधिकारी ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो वे पुलिस बल जैसे अनुशासित बल में अपने पद को धारण करने के लिए अयोग्य हैं।"
संक्षेप में तथ्य
HC के आदेश के अनुसार, जब एक एडवोकेट कमिश्नर संपत्ति की माप लेने के लिए संपत्ति का निरीक्षण करने गया था, तो कुछ लोगों ने एडवोकेट कमिश्नर के खिलाफ आपत्ति/विरोध किया/विरोध किया और संपत्ति में प्रवेश करने से रोक दिया।
इसलिए, पुलिस सुरक्षा के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया गया और पुलिस सुरक्षा का भी आदेश दिया गया।
हालांकि, जब एडवोकेट कमिश्नर संपत्ति का निरीक्षण करने गए, तो कुत्तों को छोड़ दिया गया और पुलिस सुरक्षा के बावजूद भी, कोई भी संपत्ति में प्रवेश नहीं कर सका। इसलिए, मामला न्यायालय के समक्ष आया।
कोर्ट का अवलोकन
शुरुआत में, अदालत ने टिप्पणी की,
"यह अदालत यह समझने में असमर्थ है कि संपत्ति की मॅप दर्ज करने के लिए पुलिस कर्मचारी अधिवक्ता आयुक्त को पुलिस सुरक्षा नहीं दे सके।"
न्यायालय ने यह भी देखा कि,
"अगर कुत्तों को छोड़ दिया जाता है, तो पुलिस को यह देखना चाहिए कि कुत्तों को नियंत्रित कैसे किया जाए है और पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। ऐसा करने के बजाय, पुलिस अदालत के आदेश पर अमल करने में असमर्थता जता रही है। "
इस पृष्ठभूमि में, न्यायालय ने स्थानीय पुलिस को यह देखने के लिए 48 घंटे का समय दिया कि एडवोकेट कमिश्नर के लिए संपत्ति पर प्रवेश करने और माप लेने के लिए अनुकूल माहौल बनाया गया है।
इसके अलावा, अदालत ने पुलिस को उन व्यक्तियों की पहचान करने का भी पुलिस को निर्देश दिया, जिनके बारे में यह कहा गया है कि वे संपत्ति पर कब्जे में हैं और जिन्होंने कुत्तों को छोड़ा।
पूरे निरीक्षण को वीडियो ग्राफी करने के लिए निर्देशित किया गया है। अब यह मामला गुरुवार (25 फरवरी) को सुनवाई के लिए आएगा।