अगर मेडिकल, JEE एंट्रेंस एग्जाम हिंदी में हो सकते हैं तो CLAT क्यों नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने NLU’s के कंसोर्टियम से पूछा

Brij Nandan

20 May 2023 8:16 AM GMT

  • अगर मेडिकल, JEE एंट्रेंस एग्जाम हिंदी में हो सकते हैं तो CLAT क्यों नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने NLU’s के कंसोर्टियम से पूछा

    अगर मेडिकल और जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं हिंदी में आयोजित की जा सकती हैं, तो लॉ स्कूलों में एडमिशन के लिए आयोजित कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी CLAT क्यों नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम से पूछा। जानकारी के लिए बात दें, लॉ स्कूलों में एडमिशन के लिए CLAT की परीक्षा केवल अंग्रेजी में आयोजित की जाती है।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की डिवीजन बेंच एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि CLAT-UG की परीक्षा केवल अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए, बल्कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित सभी क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जानी चाहिए।

    बता दें, CLAT की परीक्षा इस साल दिसंबर में होनी है।

    अदालत ने NLU’s के कंसोर्टियम को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। और कहा-

    "अगर मेडिकल एजुकेशन हिंदी में पढ़ाई जा सकती है। एमबीबीएस एडमिशन टेस्ट और जेईई जैसी परीक्षाएं हिंदी में आयोजित की जा सकती है तो आप किस बारे में बात कर रहे हैं।"

    NLU’s के कंसोर्टियम की ओर से पेश वकील ने कहा- बॉडी जनहित याचिका को प्रतिकूल नहीं मान रहा है। और हम इस बात से सहमत हैं कि परीक्षा अन्य भाषाओं में भी आयोजित की जानी चाहिए।

    अदालत को ये भी बताया गया कि एक कमेटी गठित की गई है। 20 मई यानी आज कमेटी की मीटिंग है। इस मीटिंग में कमेटी CLAT की परीक्षा अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषाओं में आयोजित करने पर विचार करेगी।

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से पेश वकील ने कहा- ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन अधिकांश क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाती है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट जयंत मेहता ने कहा कि याचिका पर कंसोर्टियम को जल्द से जल्द जवाब देना चाहिए।

    कोर्ट ने आदेश में कहा कि वास्ताव में ये एक चिंता का विषय है। NLU’s के कंसोर्टियम को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है।

    मामले की सुनवाई अब 7 जुलाई को होगी।

    याचिका सुधांशु पाठक ने दायर की है। वो दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई करता है।

    याचिका में कहा गया है कि जिन लोगों की शैक्षिक पृष्ठभूमि क्षेत्रीय भाषाओं में रही है, क्लैट परीक्षा उनको बराबरी का मौका नहीं दे रही है। केवल अंग्रेजी में परीक्षा होने से अंग्रेजी माध्यम के स्टूड़ेंट्स का ज्यादा फायदा मिलता है। क्षेत्रीय भाषाओं के स्टूडेंट्स पीछे रह जाते हैं।

    याचिका में ये भी कहा गया है कि CLAT (UG) की परीक्षा केवल अंग्रेजी भाषा में होना, मनमानी और भेदभावपूर्ण है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 29(2) का उल्लंघन है।

    याचिकाकर्ता का कहना है कि 2020 की नई शिक्षा नीति और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में मातृभाषा को स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का माध्यम बनाने की आवश्यकता है।

    केस टाइटल: सुधांशु पाठक बनाम सचिव और कंसोर्टियम ऑफ NLU’s



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