Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

"जघन्य अपराध": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित तौर पर एक लड़की को जिंदा जलाकर मार डालने के आरोपियों को एनएसए के तहत हिरासत में लेने की पुष्टि की

LiveLaw News Network
27 July 2021 6:00 AM GMT
जघन्य अपराध: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित तौर पर एक लड़की को जिंदा जलाकर मार डालने के आरोपियों को एनएसए के तहत हिरासत में लेने की पुष्टि की
x

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत तीन लोगों को हिरासत में लेने की पुष्टि की, जिन पर एक युवती को पेट्रोल डालकर जिंदा जलाकर मार डालने का आरोप है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने कहा कि इस जघन्य अपराध के कारण सार्वजनिक व्यवस्था भंग हुई और क्षेत्र में रहने वाले माता-पिता ने बच्चों को स्कूल जाने से रोक दिया, खासकर बेटियों को मना किया है।

संक्षेप में तथ्य

1 फरवरी, 2020 को एक लड़की, जो बी.एस.सी. तृतीय वर्ष की छात्रा को रायबरेली के राम नरेश होटल में याचिकाकर्ताओं और अन्य सह-आरोपियों द्वारा बुलाया गया और अपहरण करके उसे मारुति ओमनी में डाल दिया गया और रूमाल में बेहोशी दवा डालकर उसे सूंघकर बेहोश कर दिया।

इसके बाद उसके हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए और बेहोशी की हालत में उसे सड़क किनारे गोपाल ढाबा के पास स्थित नीलगिरी के बाग में ले गए और पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया।

जांच अधिकारी ने उचित जांच के बाद याचिकाकर्ताओं और चार अन्य आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें यह पाया गया कि याचिकाकर्ता और अन्य आरोपी व्यक्तियों ने उक्त जघन्य अपराध किया है।

आरोप लगाया गया कि एक युवती की हत्या से लोक व्यवस्था भंग हुई और जनता आक्रोशित है और बेटी के माता-पिता और मौहल्ले के लोग सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए आवेदन किया है। याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा करने पर फिर से ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की संभावना है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, इसलिए अधिनियम, 1980 [अधिनियम की धारा 3 (2) के प्रावधानों को लागू करते हुए] के तहत प्राधिकारी द्वारा हिरासत में लिया गया।

डिटेनिंग अथॉरिटी ने अधिनियम, 1980 की धारा 3 (2) के तहत याचिकाकर्ताओं को हिरासत में लेने के लिए 27 अगस्त, 2020 को आदेश पारित किया था।

5 सितंबर, 2020 को याचिकाकर्ताओं ने अपना अभ्यावेदन भेजा, जिसे 8 सितंबर, 2020 को डिटेनिंग अथॉरिटी ने खारिज कर दिया और एक अन्य अभ्यावेदन, जिसे याचिकाकर्ताओं द्वारा राज्य सरकार को भेजा गया था, को भी 18 सितंबर, 2020 को खारिज कर दिया गया।

केंद्र सरकार ने भी 11 नवंबर, 2020 को अभ्यावेदन को खारिज कर दिया।

न्यायालय की टिप्पणियां

कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि जिस तरह से यह घटना हुई और याचिकाकर्ता भी एक युवा लड़की की नृशंस हत्या के आरोपी हैं, यह दर्शाता है कि उनकी गतिविधियां इस तरह की हैं जो निश्चित रूप से समाज और सार्वजनिक शांति को भंग करती हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि एक अकेली घटना भी 'सार्वजनिक व्यवस्था' को बिगाड़ सकती है।

कोर्ट ने कहा कि,

"हम यह मानने में असमर्थ हैं कि प्राधिकारी के पास हिरासत के निष्कर्ष पर आने के लिए कोई सामग्री नहीं थी। आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं की गतिविधियों को अधिनियम, 1980 की धारा 3 की उप-धारा (2) "सार्वजनिक व्यवस्था" के रखरखाव के लिए प्रतिकूल गतिविधियों के रूप में माना जा सकता है।"

अदालत ने कहा कि हिरासत के आधार पर सूचीबद्ध याचिकाकर्ताओं की गतिविधियों के उदाहरणों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि गतिविधियां एक व्यापक क्षेत्र को कवर करती हैं और "सार्वजनिक व्यवस्था" की अवधारणा के दायरे में आती हैं और प्राधिकरण द्वारा हिरासत में लेने का पारित आदेश कानून के तहत उचित है।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



Next Story