अगर किसी को गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत हिरासत में रखा गया है तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार नहीं : एमपी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

16 Dec 2019 2:15 PM IST

  • अगर किसी को गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत हिरासत में रखा गया है तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार नहीं  : एमपी हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा कि अगर किसी को गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत हिरासत में रखा गया है तो उसके बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर ग़ौर नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और एससी शर्मा की पीठ ने इस तरह इस याचिका को ख़ारिज कर दिया।

    पीठ ने कहा,

    "सिर्फ़ इस वजह से कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दी गई है, अदालत को इस याचिका पर ग़ौर करने का कोई कारण नहीं दिखाई देता। विशेषकर जब किसी को ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हिरासत में नहीं लिया गया है तो उस स्थिति में बंदी प्रत्यक्षीकरण का आदेश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि हक़ीक़त यह है कि गवाह को राज्य ने संरक्षण दिया है।"

    इस मामले में एक बार और रेस्तरां में काम करने के बहाने 67 महिलाओं और 7 बच्चों से कथित रूप से वेश्यावृत्ति कराई जा रही थी।आरोप में कहा गया कि इन महिलाओं को बंगाल, असम और बांग्लादेश सहित नज़दीक के क्षेत्रों में एजेंटों के माध्यम से लाया गया था।

    अधिकारियों ने एक होटल पर छापे मारकर महिलाओं और बच्चों को छुड़ाया था, जिन्होंने इस मामले में गवाह बनाना स्वीकार किया और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिया था। इसके बाद उन्हें संरक्षण केंद्रों में भेज दिया गया, ताकि वे गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत सुरक्षित रह सकें।

    गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत उनको होने वाले ख़तरे के आकलन के अनुरूप संरक्षण दिया जाता है, जिसके तहत गवाहों की पहचान, उनको कहीं और रखने, उनकी रिहाईश स्थल पर सुरक्षा के उपकरण लगाने, विशेष तरह से तैयार किए गए अदालत कक्ष में सुनवाई की बातें शामिल हैं।

    बंदी प्रत्यक्षीकरण की यह याचिका उन एजेंटों ने दायर की है, जिन्होंने यह दावा किया है कि वे हिरासत में ली गई इन महिलाओं के पति/रिश्तेदार हैं।

    अदालत ने कहा,

    " यह मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण का नहीं है। छुड़ाए गई महिलाएं अपराध संख्या 496/2019 की मुख्य गवाह हैं और उनकी जान को ख़तरा है। इन महिलाओं की सुरक्षा, विशेषकर यह देखते हुए कि ये बहुत ही कम उम्र की हैं। अदालत के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है और इन महिलाओं पर अत्याचार हुआ और इनके हर तरह की यौन हिंसा हुई है।"

    इस बात की पुष्टि हुई कि महिलाएं और नाबालिग़ लड़कियां जिन्हें पुलिस ने छुड़ाया, संरक्षण घर में सुरक्षित हैं और वहां हर तरह की सुविधाएं हैं।


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