वाराणसी कोर्ट में बताया गया, 'ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण ASI ने पूरा किया, रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं, 17 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश

Sharafat

3 Nov 2023 9:15 AM GMT

  • वाराणसी कोर्ट में बताया गया, ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण ASI ने पूरा किया, रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं, 17 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश

    वाराणसी जिला न्यायाधीश ने 2 नवंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण के बारे में अपनी रिपोर्ट 17 नवंबर तक अदालत में जमा करने का निर्देश दिया।

    जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने यह आदेश तब पारित किया जब एएसआई ने गुरुवार को उसके समक्ष प्रस्तुत किया कि उसने मस्जिद परिसर का अपना सर्वेक्षण पहले ही पूरा कर लिया है और अब उसके तकनीकी सदस्य उसी की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

    इन दलीलों को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने अधीक्षक पुरातत्वविद्, एएसआई, सारनाथ सर्कल, वाराणसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट 17 नवंबर तक अदालत में दाखिल की जाए।

    उल्लेखनीय है कि एएसआई वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रहा था ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं।

    4 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ' वुज़ुखाना ' क्षेत्र को छोड़कर, जहां पिछले साल एक ' शिव लिंग ' पाए जाने का दावा किया गया था, उसे छोड़कर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने से रोकने से इनकार कर दिया था।

    एएसआई की ओर से दिए गए इस अंडर टैकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए कि साइट पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, अदालत ने सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।

    कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (जो वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है) द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश (3 अगस्त के) को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया था।

    वाराणसी जिला न्यायाधीश ने 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के निदेशक को उस क्षेत्र ( वुजुखाना ) को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का निर्देश दिया, जिसे पहले सील कर दिया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर इसे बनाया गया। इस आदेश को 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था।

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