गुजरात हाईकोर्ट ने मस्जिदों में अज़ान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा
Sharafat
14 March 2023 2:58 PM IST
गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें राज्य सरकार को राज्य भर की मस्जिदों में दिन में पांच बार अज़ान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए जे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने बजरंग दल के एक नेता शक्तिसिंह जाला को इस संबंध में पहले से ही स्थापित जनहित याचिका में शामिल होने की अनुमति देते हुए यह आदेश पारित किया। मूल याचिकाकर्ता धर्मेंद्र प्रजापति ने एक निश्चित समुदाय के लोग द्वारा धमकी का हवाला देते हुए अपनी याचिका वापस लेने की मांग की थी, जिसके बाद अदालत ने जाला को इस संबंध में पहले से ही स्थापित जनहित याचिका में शामिल होने की अनुमति दी।
प्रजापति एक डॉक्टर हैं जो गांधीनगर जिले में अपना क्लिनिक चला रहे हैं। उन्होंने पिछले साल यह कहते हुए अदालत का रुख किया था कि मुस्लिम समुदाय के सदस्य मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग करते हुए नमाज़ अदा करते हैं और इससे आसपास के निवासियों को बहुत असुविधा और परेशानी होती है।
इसके अलावा याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मई 2020 के फैसले का भी उल्लेख किया है जिसमें न्यायालय ने कहा था कि अज़ान निश्चित रूप से इस्लाम का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है, लेकिन माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर का उपयोग अनिवार्य और अभिन्न अंग नहीं है।
कोर्ट के सामने सोमवार को बयान दिया गया कि उन्हें धमकाया जा रहा है और इसलिए वह मामले को वापस लेना चाहते हैं। उसी समय ज़ाला ने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय से इस मामले में शामिल होने का अनुरोध किया और अपनी याचिका के माध्यम से न्यायालय से प्रार्थना की कि वह राज्य सरकार से इस संदर्भ में जवाब मांगे।
बेंच ने इसके बाद राज्य को मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले को 12 अप्रैल के लिए पोस्ट कर दिया।
न्यायालय के समक्ष जनहित याचिका राज्य में मस्जिदों में अज़ान के उद्देश्य से लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती है, जिसमें दावा किया गया है कि वे ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।