लॉकडाउन की अवधि में निर्धारित बिजली शुल्क माफ करने की याचिकाओं पर गुजरात हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
29 Jun 2020 6:21 AM GMT
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य में बिजली वितरण कंपनी- पश्चिम गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (PGVCL)को उन याचिकाओं के समूह पर नोटिस जारी किया है, जो लॉकडाउन अवधि में निर्धारित बिजली शुल्क (Fixed Electricity Charges) माफ करने की मांग करते हुए दायर की गई हैं।
याचिकाएं केबी इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के साथ साथ दस अन्य लिमिटेड कंपनियों ने दायर की हैं और मांग की है कि अप्रैल माह के लिए निर्धारित बिजली शुल्क की माफी का लाभ, जिसका आदेश 27 मार्च, 2020 दिया गया था, उसे लॉकडाउन की पूरी अवधि तक बढ़ाया जाना चाहिए, जिसमें मई का महीना भी शामिल है।
याचिकाकर्ता-कंपनी ने कहा, "उक्त पहलू केंद्र सरकार और गुजरात राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन को बार-बार विस्तारित किए जाने के बाद से प्रासंगिक है।"
वास्तविक खपत के बिल के भुगतान के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है और याचिका में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, जो फिक्स और ऊर्जा शुल्क का कुल 15% तक है, उसे माफ किया जाए।
केबी इस्पात लिमिटेड, एडवोकेट्स अभिषेक मेहता एंड परम शाह के माध्यम से कहा है कि अप्रैल के महीने में निर्धारित बिजली शुल्क के भुगतान से उद्योगों के लिए "शमन और कुछ सांस लेने का समय" (राहत) प्रदान किया गया था और यह प्रस्तुत किया गया है कि मार्च, अप्रैल या मई, 2020 के महीने में वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में कोई बदलाव नहीं होने के बाद भी वही स्थिति मौजूद है। ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता की ओर से स्पष्ट वैध उम्मीद है कि उत्तरदाताओं द्वारा उदार तरीके से राहत मिलनी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि मज़दूरों और कच्चे माल की अनुपलब्धता के कारण उनका काम आज तक बंद है। ऐसी परिस्थितियों में, यह तर्क दिया गया है कि उक्त लाभों का विस्तार करने में उत्तरदाताओं की निष्क्रियता संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (जी) के गैरकानूनी, मनमानी और उल्लंघनकारी है।