न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरा जाए, मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर विचार करें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई

LiveLaw News Network

27 April 2021 5:32 AM GMT

  • न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरा जाए, मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर विचार करें: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर की गई

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की मांग की गई और इसके साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कुछ रिक्त पदों पर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के उपयुक्त उम्मीदवारों से भरे जाने की प्रार्थना की गई।

    अधिवक्ता रंजन लखनपाल द्वारा दायर याचिका पर भारत संघ, पंजाब राज्य, हरियाणा राज्य, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने प्रतिवादी पक्ष के रूप में पक्ष रखा।

    याचिका में कहा गया है कि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में 38 न्यायाधीशों की कमी है और हाईकोर्ट में 6.4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इसके साथ ही 85 न्यायाधीश की क्षमता वाले इस हाईकोर्ट में सिर्फ 47 न्यायाधीश हैं।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि,

    "छह लाख से अधिक मामले लंबित है और मामलों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि न्यायाधीश के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए और कुछ रिक्तियों को सृजित करने और तुरंत भरे जाने की आवश्यकता है।"

    याचिका में महत्वपूर्ण रूप से कहा गया है कि उच्च न्यायालय में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

    याचिका में कहा गया कि,

    "भले ही पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय वर्ष 1956 से अस्तित्व में है, लेकिन मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से इस न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में एक भी सदस्य को नहीं नियुक्त किया गया है। यह आवश्यक है कि इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय का सदस्य नियुक्त किया जाए ताकि मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय अपने साथ भेदभाव न समझें। "

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से इस न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए भारत के प्रधानमंत्री का प्रतिनिधित्व किया गया है।

    याचिका में स्पष्ट किया गया है कि यह प्रार्थना केवल पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के सदस्य को इस न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने के लिए नहीं है बल्कि हमारे देश के किसी भी राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य को न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया जा सकता है।

    कोर्ट के समक्ष यह दलील प्रस्तुत की गई है कि सुप्रीम कोर्ट / उच्च न्यायालयों में धार्मिक अल्पसंख्यकों प्रतिनिधित्व बहुत कम है। इससे लगता है कि कॉलेजियम या तो इस मामले के प्रति संवेदनशील नहीं है या न्यायाधीशों का चयन करने और नियुक्त करते समय इस मुद्दे को विचार-विमर्श में दरकिनार कर दिया जाता है।

    याचिका में महत्वपूर्ण रूप से कहा गया कि,

    "जब न्यायपालिका में भारतीय समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो सार्वजनिक रूप से यह धारणा बनेगी कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि न्यायपालिका में आरक्षण विवाद पैदा कर सकता है। फिर भी यह सवाल उठाता है कि क्या इस तरह के बदलाव के लिए या विविधता की कमी से निपटने के लिए प्रयास किया जाएगा।"

    याचिकाकर्ता अन्त में प्रतिवादी को निम्नलिखित निर्देश दिए जाने की प्रार्थना करता है;

    1. इस न्यायालय के न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरा जाए क्योंकि पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में 38 न्यायाधीशों के पद खाली पड़े हैं और कोर्ट में लगभग 6 लाख से अधिक मामले लंबित हैं।

    2. न्यायाधीशों के कुछ रिक्त पदों को मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से भरा जाना चाहिए ताकि मुस्लिम समुदाय का भी कुछ प्रतिनिधित्व हो।

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