'सुनिश्चित करें कि लैब्स COVID-19 टेस्ट का रिजल्ट 24 घंटे के भीतर दें': कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए

LiveLaw News Network

17 April 2021 9:05 PM IST

  • सुनिश्चित करें कि लैब्स COVID-19 टेस्ट का रिजल्ट 24 घंटे के भीतर दें: कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने शनिवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राज्य सरकार सभी मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को COVID-19 से संक्रमित लोगों के RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट जल्द से जल्द 24 घंटे के भीतर जारी करने का आदेश दें।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की खंडपीठ ने कहा कि,

    "यह सही तथ्य है कि RT-PCR टेस्ट की बड़ी संख्या में सैंपल इकट्ठे किए जाते हैं, लेकिन इस टेस्ट के परिणाम 48-घंटे की अवधि के बाद भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इतने लंबे समय तक परिणामों की अनुपलब्धता के गंभीर और कठोर परिणाम हो सकते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि यदि कोई व्यक्ति कोविड पॉजिटिव है और यह परिणाम आने में देरी होने पर उपचार में देरी होगी।"

    बेंच ने कहा कि, "राज्य को सभी मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं को उचित वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करके दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करना चाहिए ताकि जल्द से जल्द या 24 घंटों के भीतर टेस्ट का परिणाम प्रदान किए जा सके।"

    कोर्ट ने हाल ही के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले का भी उल्लेख किया है जिसमें निर्देश दिया गया है कि टेस्ट के रिजल्ट को सबसे पहले व्हाट्सएप या एसएमएस द्वारा रोगियों को सूचित किया जाए और उसके बाद आईसीएमआर प्लेटफॉर्म पर रखा जाए।

    कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि सैंपल लेने के बाद जब तक रिजल्ट नहीं आ जाता तब तक मरीज को होम क्वारैंटाइन रहना होगा। सैंपल लेने के दौरान मरीज के होम क्वारैंटाइन के समय सूचित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

    बेड की उपलब्धता

    वकील क्लिफ्टन डी रोजारियो के एक ट्वीट ने बेड की उपलब्धता के मामले को कोर्ट के संज्ञान में लाया। दरअसल, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने COVID-19 पॉजिटिव पाए गए और उनके इलाज के लिए मणिपाल अस्पताल में बेड तक नहीं मिला। इसकी जानकारी एडवोकेट रोजारियो ने ट्वीट करके दी और यह ट्वीट वायरल हो गया।

    एडवोकेट रोजारियो ने कहा कि जब विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को बेड नहीं मिल सकते हैं तो आप समाज के गरीब वर्गों की दुर्दशा की कल्पना कर सकते हैं।

    पीठ ने आदेश में कहा कि, "यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार का कर्तव्य है कि कोई भी COVID-19 मरीज जो चिकित्सकीय सलाह के बाद अस्पताल में भर्ती होने या क्वारैंटाइन के लिए आता है, उसे पर्याप्त सुविधाएं दी जाएं।

    पीठ ने आगे कहा कि,

    "यदि कुछ COVID19 मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें निजी अस्पतालों में रखा जा रहा है, तो राज्य सरकार को इस बात पर विचार करना होगा कि क्या अस्पतालों में COVID-19 मरीजों के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि चिकित्सकीय सलाह के बाद अस्पताल में भर्ती होने के लिए गए लोग सुरक्षित हैं।"

    जागरूकता अभियान

    चूंकि बेंगलुरु शहरी में दैनिक कोविड पॉजिटिव के मामलों के आंकड़े शुक्रवार को 10,000 के पार हो गए हैं। इसलिए राज्य सरकार और बीबीएमपी के लिए यह आवश्यक है कि वे बड़े पैमाने पर नागरिकों को जागरूक करने का अभियान शुरू करें। अदालत ने कहा कि जागरूकता अभियान में सैंपल टेस्ट के लिए किसी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से संपर्क करने से ठीक पहले उठाए जाने वाले कदम शामिल होंगे। बीबीएमपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी व्यक्ति के टेस्ट के परिणाम के रूप में कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीबीएमपी के संबंधित अधिकारी को संबंधित रोगी से संपर्क करना चाहिए। निर्देश जारी करने की आवश्यकता है क्योंकि यह देखा जा रहा है कि कुछ मामलों में टेस्ट के परिणाम के 24 घंटे बाद भी बीबीएमपी से कोई भी संबंधित अधिकारी रोगी से संपर्क नहीं करता है।

    पीठ ने राज्य में विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार और बीबीएमपी को आम आदमी के लिए उपलब्ध उपायों की जानकारी और विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध सभी हेल्पलाइनों के बारे में व्यापक प्रचार करने का भी निर्देश दिया। केवल अखबार ही नहीं बल्कि सभी प्रमुख स्थान, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सभी जगह प्रचार करने का निर्देश दिया है। यहां तक कि विज्ञापन की सॉफ्ट कॉपी सेल फोन, ईमेल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रसारित की जाएगी।

    मॉनिटरिंग कमेटी

    कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रख्यात नागरिक, नागरिक समाज के सदस्यों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मिलाकर एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया। कमेटी का काम होगा कि वह मॉनिटरिंग करने का काम करेगी और शिकायतों से निपटने के लिए सुझाव देगी। कोर्ट ने कहा कि यह जनता के विश्वास को बढ़ाएगा।राज्य को सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या सेवानिवृत्त सिविल सेवक जो मुख्य सचिव रहा हो या सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी जो डीजीपी जैसे उच्च पद पर रहा हो या मुख्य आयकर आयुक्त रैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी या बेंगलुरू शहर के प्रख्यात व्यक्ति आदि के साथ एक समिति नियुक्त करने पर विचार करना चाहिए। राज्य अगली तारीख पर इस सुझाव का जवाब देगा।

    रेमडेसिविर दवा की उपलब्धता

    कोर्ट ने सुझाव दिया कि लोगों के बीच रेमडेसिविर दवा की उपलब्धता को लेकर ज्यादा घबराहट न हो इसके लिए जिले को विभाजित करके उक्त दवा के स्टॉक की उपलब्धता का व्यापक प्रचार करना चाहिए। निजी अस्पतालों में नोडल अधिकारियों को तैनात करें ताकि आपातकाल की स्थिति में मरीजों के परिजन संपर्क कर सकें।

    जैव-चिकित्सा अपशिष्ट का निपटारन

    बीबीएमपी जैव चिकित्सीय कचरे के निपटारन की सुविधा के लिए उचित कदम उठाए जाएं। क्या सभी सफाई कर्मियों को सुरक्षा उपाय और सुरक्षा उपकरण को उपलब्ध कराए गए हैं, इसका विवरण दें।

    राजनीतिक सभाएं

    कोर्ट को यह सूचित किया गया था कि धार्मिक समारोहों सहित सभी गतिविधियों पर कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। 16 अप्रैल के सरकारी आदेश के तहत 200 लोगों की राजनीतिक सभाओं को अनुमति है। इसके अलावा यह कहा गया कि इस तरह की सभाओं के कारण कोविड मामलों में तेजी से वृद्धि हो सकती है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि प्रथम दृष्टया हम उक्त सबमिशन में योग्यता पाते हैं और इसलिए राज्य को इस पहलू पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि उपचुनावों के परिणाम घोषित होना बाकी है और राज्य के लिए यह आवश्यक है कि परिणामों की घोषणा से पहले जिन स्थानों पर मतगणना हो रही है, उन स्थानों के बाहर भीड़ न जमा हो और रैलियां न की जाएं।

    राज्य को इस संबंध में तत्काल निर्देश जारी करना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।

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