राज्य अटके पड़े प्रवासी मज़दूरों को सभी ज़रूरी सुविधाएँ सुनिश्चित करें : बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

11 April 2020 7:00 AM GMT

  • राज्य अटके पड़े प्रवासी मज़दूरों को सभी ज़रूरी सुविधाएँ सुनिश्चित करें : बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि राज्य में अटके पड़े प्रवासी मजदूरों को वह, भोजन, आश्रय, दवा, पेय जल सहित सभी बुनियादी सुविधाएँ सुनिश्चित करे। ये मज़दूर कोविड-19 महामारी के कारण घोषित लॉकडाउन के कारण अपने घर वापस नहीं जा पाए हैं।

    न्यायमूर्ति एए सैयद ने सर्वहारा जन आंदोलन एवं घर बनाओ आंदोलन की सम्मिलित जनहित याचिका पर सुनवाई की। इन दोनों ही याचिकाओं में प्रवासी मज़दूरों और हाशिए पर मौजूद लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं पर अमल का आदेश दिए जाने की माँग की गई है।

    एजीपी बीवी सामंत और एजीपी एमएम पबाले ने कहा कि सरकार ने 4871 राहत शिविर खोले हैं और इनमें 7.5 लाख प्रवासी मज़दूरों को रखा गया है। इन लोगों को हर दिन तीन बार खाना दिया जाता है।

    इसके अलावा हर ज़िले में एक आम हेल्पलाइन नंबर दिया गया है और प्रधान मंत्री ग़रीब कल्याण योजना के तहत प्रति व्यक्ति पाँच किलो खाद्यान्न मुफ़्त दिया जा रहा है।

    हालाँकि, याचिकाकर्ता के वकील गायत्री सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है और इन योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुँच रहा है। कई ऐसे इलाक़े हैं जहां लोगों को भोजन, पानी, दवा, शौचालय और स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं।

    दलील सुनने के बाद अदालत ने कहा, "निस्सन्देह, COVID 19 महामारी को देखते हुए राज्य सरकार का काम बहुत ही दुष्कर है और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत काम किया जा रहा है।"

    अदालत ने कहा,

    "…चूँकि याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि केंद्र/राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ पीड़ितों को नहीं मिल रहा है, हमारी राय में ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण सरकारी अधिकारियों के साथ सहयोग कर इसमें प्रभावी भूमिका निभा सकता है।"

    अदालत ने याचिककर्ताओं से कहा कि जहाँ लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है वहाँ वे संबंधित क्षेत्र के ज़िला कलक्टरों से सम्पर्क करें।

    अदालत ने कहा,

    "हमारी राय में पहली ज़रूरत है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोई पीड़ित व्यक्ति दूरस्थ क्षेत्र में भी, भूखा न रहे और भोजन/खाद्यान्न, पेय जल, दवा, स्वास्थ्य और शौचालय की सुविधा सभी लोगों तक पहुँचे। जहाँ तक अन्य शिकायतों की बात है, तो उन पर बाद में ग़ौर किया जाएगा।"

    इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 अप्रैल को होगी।

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