'किशोरी माता और उसके बच्चे को पारिवारिक भूमि में हिस्सा दें', गुजरात हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही में एक अभूतपूर्व आदेश दिया

SPARSH UPADHYAY

5 Sep 2020 3:58 PM GMT

  • किशोरी माता और उसके बच्चे को पारिवारिक भूमि में हिस्सा दें, गुजरात हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही में एक अभूतपूर्व आदेश दिया

    बंदी प्रत्यक्षीकरण कार्यवाही में एक अभूतपूर्व आदेश देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार (01 सितंबर) को एक युगल (लड़के के माता-पिता) को एक किशोरी के पक्ष में पारिवारिक भूमि का एक हिस्सा देने का निर्देश दिया है।

    न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी एवं न्यायमूर्ति एन. वी. अंजरिया की पीठ ने यह आदेश उस मामले में दिया जिसमे युवती/किशोरी, युगल (लड़के के माता-पिता) के बेटे के साथ कथित तौर पर भाग गयी थी और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया था।

    दरअसल किशोरी के पिता, लड़के के माता-पिता के साथ समझौता करने के लिए सहमत हो गए और उसके बाद वह काम के चलते सूरत के लिए रवाना हो गए। किशोरी को कोई शिकायत नहीं है और वह वास्तव में, प्रतिवादी नंबर 4 (लड़का) के माता-पिता के साथ रहना जारी रखने के लिए तैयार है।

    किशोरी ने हाईकोर्ट को यह भी अवगत कराया कि लड़के के माता-पिता उसे धन देने लिए तैयार हैं और परिवार के एक हिस्से के रूप में उसे स्वीकारते हुए अपनी जमीन में कॉर्पस (किशोरी) और उसके बेटे के नाम को म्यूटेट करेंगे।

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पार्टियों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते का प्रयास अब तक सफल नहीं हुआ है (किशोरी के माता-पिता की ओर से हिचकिचाहट के कारण) अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रतिवादी नंबर 4 (लड़के) की मां के साथ बातचीत की।

    प्रतिवादी नंबर 4 (लड़के) के पिता के बीमार होने के कारण वो इस कॉन्फ़्रेंसिंग का हिस्सा नहीं बन सके। प्रतिवादी नंबर 4 (लड़के) की माँ ने किशोरी और उसके बच्चे के पक्ष में एक अच्छी राशि देने के लिए स्वेच्छा से कहा और कुछ भूमि में उनके अधिकार को मान्यता देने के लिए उनका नाम दर्ज कराने को कहा।

    इस निर्णय के मद्देनजर, अदालत ने निम्नलिखित निर्देश दिए :

    1- बच्चे के जन्म का पंजीकरण जिसमें माता और पिता दोनों का नाम हो;

    2- कॉर्पस का बैंक खाता निकट भविष्य में खोला जाएगा;

    3- चूंकि लड़के के माता-पिता ने याचिकाकर्ता को एक निश्चित राशि देने के लिए स्वेच्छा से कहा है, इसलिए तीन सप्ताह के भीतर कॉर्पस के बैंक खाते में राशि जमा करें।

    4- जहाँ तक कॉर्पस और उसके बच्चे के जमीन में हिस्से को अलग करने की बात है, तो राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाएं। जिसका प्रमाण अगली तिथि पर उत्पादित किया जाएगा।

    5- कॉर्पस और उसके बच्चे की देखभाल के लिए इस न्यायालय के समक्ष लड़के के माता-पिता द्वारा अंडरटेकिंग भी प्रस्तुत किया जाएगा।

    दस्तावेजों के निर्माण या लड़के के माता-पिता द्वारा स्वेच्छा से किए गए कार्यों को निष्पादित करने के लिए किसी भी सहायता की यदि आवश्यकता होती है तो अदालत द्वारा इसके लिए श्री ब्रह्मभट्ट, लिमखेड़ा में पीठासीन न्यायाधीश से यह अनुरोध किया गया कि पुलिस बल और किशोरी को सहायता प्रदान करें, यदि आवश्यकता हो तो।

    अदालत ने आगे कहा कि आवश्यकता पड़ने पर तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क किया जाएगा।

    मामले को अगली सुनवाई के लिए 21.09.2020 को पोस्ट किया गया।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करें



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