चेक बाउंस के मामलों को छह महीने के भीतर निपटाएं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिया निचली अदालत को निर्देश
LiveLaw News Network
21 Oct 2019 4:21 PM IST
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मामलों को तेजी से निपटाने के महत्व को मजबूत करते हुए निचली अदालत को निर्देश दिया है कि वह छह महीने के भीतर चेक बाउंस के मामले की कार्यवाही का निपटारा करे।
इस मामले में एक याचिका दायर कर मांग की गई थी कि ''एशियन गैलेक्सी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम वी.सिद्धिविनायक इलेक्ट्रिक ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड व अन्य'' के मामले में लंबित कार्यवाही को निपटाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। यह मामला वर्ष 2017 में परक्राम्य लिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट) 1881 की धारा 138 के तहत दायर किया गया था।
इस मामले में दलील दी गई कि एनआई अधिनियम की धारा 143 (3) के अनुसार, आदर्श रूप से किसी मामले को दायर किए जाने के छह महीने के भीतर निपटा दिया जाना चाहिए, इसलिए आवेदक ने प्रार्थना की थी कि इस संबंध में ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया जाएं।
धारा 143 (3) में कहा गया है कि
''इस धारा के तहत हर मुकदमे को जितनी जल्दी हो सके उतनी तेजी से चलाया जाएगा और शिकायत दर्ज करने की तारीख से छह महीने के भीतर मुकदमे को खत्म करने या निपटाने का प्रयास किया जाएगा।''
न्यायमूर्ति आर.सी खुल्बे ने यह देखते हुए कि,''शीघ्र न्याय भारत के संविधान के तहत एक व्यक्ति को मिला एक मौलिक अधिकार है'', उपरोक्त निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति खुल्बे ने कहा कि-
'' केस नंबर 171/2017 'एशियन गैलेक्सी प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम वी.सिद्धिविनायक इलेक्ट्रिक ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड व अन्य' ( नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 ) मामले में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर मिश्रित याचिका (क्रिमनल मिसलेनिअस एप्लीकेशन ) को निपटाते हुए निचली अदालत को यह निर्देश दिया जा रहा है कि वह नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 143(3) के प्रावधानों के तहत इस आदेश की प्रतिलिपि प्राप्त होने की तारीख से छह महीने के भीतर इस केस का निपटारा करे।''
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया था कि वे चेक बाउंस के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए संबंधित हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट दायर करें और ऐसे मामलों को ऑनलाइन निपटाने की प्रक्रिया के बारे में भी बताएं।
ये निर्देश 'मीटर और इंस्ट्रूमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम कंचन मेहता, (2018 (1) एससीसी 560' मामले में दिए गए फैसले के तहत जारी किए गए थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि निचली अदालत को एनआई अधिनियम की धारा 183 के तहत प्रतिदिन सुनवाई या दिन-प्रतिदिन सुनवाई करनी चाहिए ताकि मुकदमे को छह महीने के भीतर निपटाया जा सके या निपटाने का प्रयास किया जा सके।
इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत किसी मामले में एक अभियुक्त को शिकायतकर्ता की सहमति के बिना भी आरोपमुक्त किया जा सकता है, अगर अदालत इस बात से संतुष्ट है कि शिकायतकर्ता को विधिवत मुआवजा दिया जा चुका है।
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