लाइफ़ बॉय को COVID-19 में अप्रभावी बताने वाले डेटॉल के विज्ञापन पर फ़िलहाल रोक, HUL पहुंचा बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

24 March 2020 10:47 AM GMT

  • लाइफ़ बॉय को COVID-19 में अप्रभावी बताने वाले डेटॉल के विज्ञापन पर फ़िलहाल रोक, HUL पहुंचा बॉम्बे हाईकोर्ट

    कोरोना वायरस के फैलने के कारण फैली महामारी के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड (HUL) की याचिका पर सुनवाई की जिसमें रेकिट बेंकाइज़र के ख़िलाफ़ कॉपीराइट के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि अपने उत्पाद 'डेटॉल' के विज्ञापन में लोगों को यह कहा जा रहा है कि एचयूएल का 'लाइफ़बॉय' कोविड-19 में अप्रभावी रहा है।

    रेकिट बेंकाइज़र के इस बयान के बाद कि वह इस विज्ञापन को अभी नहीं दिखाएगा, न्यायमूर्ति केआर श्रीराम ने इस मामले को 20 अप्रैल 2020 तक कि लिए स्थगित कर दिया।

    विरैग तुलजापुरकर और हीरेन कामोद ने वादी एचयूएल की पैरवी की जबकि चंदर लाल और जवाहरलाल ने प्रतिवादी की पैरवी की।

    वादी के अनुसार, जनवरी से वे कोरोना वायरस महामारी के ख़िलाफ़ आम लोगों में जागरूकता लाने के लिए विज्ञापन दे रहे हैं। वादी ने आम लोगों के हितों में यह भी बता रहा है कि सफ़ाई के लिए किसी भी साबुन का प्रयोग किया जा सकता है न कि सिर्फ़ लाइफ़बॉय का।

    हालाँकि, 12 मार्च 2020 को वादी ने "डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश" देखा जिसमें प्रतिवादी ने लाइफ़बॉय को नीचा दिखाया है।

    इस विज्ञापन की शुरुआत एक महिला जो शायद माँ है, से होती है जो वादी के उत्पाद लाइफ़बॉय का नियमित प्रयोग करती है, और वह डॉक्टर से शिकायत करती है कि हालाँकि वह अपने बच्चे को प्रदूषण और जंक फ़ूड से अलग रखती है, उसका बेटा लगातार बीमार पड़ता रहता है और अमूमन पेट में दर्द की शिकायत करता है। इस पर डॉक्टर एक लाल साबुन (जो आकार और रंग में लाइफ़बॉय की तरह है) दिखाता है और कहता है कि माँ को चाहिए कि वह अपने बीमार बच्चे को इस लाल साबुन से दूर रखे। जब डॉक्टर यह बात कहता है लाल रंग के इस साबुन को दिखाया जाता है जो बेसिन पर रखा है।

    शिकायत में कहा गया है कि डॉक्टर कहता है कि हाथ को पहले डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश से धोने की ज़रूरत होती है क्योंकि किटाणु हाथ से छूने पर भी फैल सकता है।

    इसके बाद इस विज्ञापन में डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश को दिखाया जाता है और कहा जाता है कि यह लाल साबुन से "10 गुना बेहतर सुरक्षा" देता है जिसे एक आम साबुन की तरह दिखाया जाता है।

    इस तरह एचयूएल ने कहा कि डेटॉल का विज्ञापन आम लोगों और व्यापार को यह बताता है कि लाल साबुन (लाइफ़बॉय) उपभोक्ता को बीमारी पैदा करनेवाले किटाणु से उनकी सुरक्षा नहीं कर सकता जबकि 'डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं से 10 गुना ज़्यादा सुरक्षा उपभोक्ताओं को देता है।

    प्रतिवादी कंपनी को नियमान का आदतन उल्लंघन करनेवाला बताते हुए वादी ने कहा कि यह पहला मौक़ा नहीं है जब लाइफ़बॉय उत्पादों को नीचा दिखाते हुए विज्ञापन दिखाया है, वह पहले भी ऐसा कर चुकी है।इसलिए उसने इसके ख़िलाफ़ ₹1करोड़ के हर्ज़ाने की माँग की है।

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