वैवाहिक रिश्ते से वंचित करना 'अत्यधिक क्रूरता': दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक लेने की मांग वाली याचिका मंज़ूर की

Sharafat

7 Oct 2023 6:12 AM GMT

  • वैवाहिक रिश्ते से वंचित करना अत्यधिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की तलाक लेने की मांग वाली याचिका मंज़ूर की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी विवाहित जोड़े को एक-दूसरे के साथ वैवाहिक रिश्ते से वंचित किया जाना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 की धारा 13 (1) (आईए) के तहत पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा।

    अदालत ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि जिन पक्षकारों ने 2012 में शादी की थी, वे अपनी शादी को कायम रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे केवल दस महीने ही एक साथ रह पाए और उसके बाद अलग-अलग रह रहे हैं।

    अदालत ने कहा, '' किसी जोड़े को एक-दूसरे के साथ और वैवाहिक रिश्ते से वंचित किया जाना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है।पार्टियों के बीच मतभेद थे और उनके परिवारों के बीच हर महीने उन्हें सुलझाने के प्रयास किए जा रहे थे।"

    अदालत ने कहा,

    “ यह मुद्दे स्पष्ट रूप से वैवाहिक जीवन में सामान्य दरार होने वाले प्रतीत हो सकते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि अपीलकर्ता वैवाहिक जीवन में तालमेल बिठाने में असमर्थ रही, जिससे दिन-प्रतिदिन मतभेद पैदा होते थे और इस तरह प्रतिवादी (पति) के मन में असंतोष और आशंका का तत्व पैदा होता था।"

    इसमें कहा गया,

    “ पार्टियों के बीच मतभेद भले ही छोटे-छोटे मुद्दों पर रहे हों, लेकिन यह स्पष्ट है कि वे लगातार बने रहे और तमाम कोशिशों के बावजूद हल नहीं हो सके। व्यक्तिगत रूप से विचार करने पर इन घटनाओं को वैवाहिक जीवन की सामान्य टूट-फूट कहा जा सकता है, लेकिन प्रयासों के बावजूद कोई समाधान नहीं होने पर महीनों तक इनका लगातार बने रहना वैवाहिक रिश्ते में अविश्वास, नाखुशी और अनिश्चितता पैदा करने वाला मानसिक आघात कहा जा सकता है। ”

    इसके अलावा अदालत ने कहा कि पति चाहे घर पर हो या काम पर लगातार आशंकित रहता था कि क्या घर में चीजें ठीक होंगी या उसे किसी प्रतिकूल घटना का सामना करना पड़ेगा।

    पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति के मन में इस तरह की "लंबी बेचैनी" न केवल व्यक्ति को मानसिक शांति से वंचित करती है, बल्कि मानसिक पीड़ा और आघात का एक निरंतर स्रोत भी है।

    अदालत ने यह भी कहा कि पत्नी का खुद को कमरे में बंद करने का कृत्य पति की इस आशंका को मजबूत करने वाला अंतिम कृत्य था कि वह उसे झूठे मामलों में फंसा सकती है।

    अदालत ने कहा,

    “ प्रत्येक वैवाहिक रिश्ते में, पक्ष सहयोग की तलाश करते हैं, आपसी विश्वास और एकजुटता साझा करते हैं, लेकिन झूठे निहितार्थ के सभी व्यापक भय से व्याप्त इस तरह का जीवन किसी भी तरह से वैवाहिक रिश्ते का पोषण नहीं कर सकता है। अपीलकर्ता (पत्नी) का कृत्य निश्चित रूप से क्रूरता की श्रेणी में आएगा।”


    केस टाइटल : एक्स बनाम वाई

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