दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले को चुनौती देने वाली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
9 Dec 2021 2:57 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2018 में अपने खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले को चुनौती देने वाली पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 4 फरवरी को पोस्ट किया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह उम्मीद की जा रही है कि बयान दर्ज करने के समय एजेंसी के सीसीटीवी कैमरे चालू रहेंगे।
पीएफआई की ओर से पेश हुए एडवोकेट अदित पुजारी ने अदालत को अवगत कराया कि मामला प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दर्ज एक मामले से दर्ज किया गया था, जो केरल में युवाओं को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कथित ट्रेनिंग से संबंधित था।
पुजारी ने कोर्ट को यह भी अवगत कराया कि एनआईए के अनुसार वर्ष 2013 में उक्त बैठक के उद्देश्य से एक बैठक में कुछ ईंटें और लाठियां मिली थीं।
ट्रायल कोर्ट ने कुछ लोगों को आईपीसी, विस्फोटक अधिनियम और यूएपीए के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया था।
हालांकि हाईकोर्ट ने अपील में यूएपीए अपराधों को यह कहते हुए हटा दिया था कि कोई राष्ट्र विरोधी गतिविधियां नहीं थीं।
पुजारी ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय की राय के आलोक में प्रवर्तन निदेशालय के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले को आगे बढ़ने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि पीएफआई के सदस्यों को अब तक देश भर में 150 से अधिक समन प्राप्त हुए हैं और इसे घुमावदार और फिसिंग जांच होने का दावा किया है।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि एजेंसी पूछताछ के स्थान पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं कर रही है।
दूसरी ओर, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए,अमित महाजन ने कहा कि एजेंसी उक्त निर्देशों का पालन कर रही है।
मामले की सुनवाई अब 4 फरवरी 2022 को होगी।
केस का शीर्षक: पीएफआई बनाम ईडी