फर्जी मामलों पर रोक लगाने के लिए शिकायतकर्ताओं को नार्को एनालिसिस, पॉलीग्राफ टेस्ट से गुजरने की मांग वाली PIL पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

Brij Nandan

15 May 2023 7:18 AM GMT

  • फर्जी मामलों पर रोक लगाने के लिए शिकायतकर्ताओं को नार्को एनालिसिस, पॉलीग्राफ टेस्ट से गुजरने की मांग वाली PIL पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

    फर्जी मामलों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। याचिका के मुताबिक दिल्ली पुलिस शिकायतकर्ताओं से पूछे कि क्या वे आरोपों को साबित करने के लिए जांच के दौरान नार्को एनालिसिस और ब्रेन मैपिंग से गुजरने को तैयार हैं, ताकि "फर्जी मामलों" पर शिकंजा कसा जा सके।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा- हम लॉ मेकर नहीं हैं। याचिका पर उचित आदेश दिया जाएगा।

    याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में पुलिस को ये निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वो आरोपी से पूछे कि क्या वे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए इस तरह के टेस्ट से गुजरने को तैयार हैं। इससे पुलिस जांच में मदद मिलेगी और कोर्ट का कीमती समय बचेगा।

    साथ ही याचिका में विधि आयोग से "फर्जी मामलों" पर शिकंजा कसने के लिए एक डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश भी मांगा गया है।

    सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शर्मा ने कहा,

    “मजाक थोड़ी है। सीआरपीसी है साहब। कहा लिखा हुआ है कि एक वाक्य और पूछ सकते हैं? हम सीआरपीसी के बिओंड नहीं जाएंगे। हमें बताएं कि पुलिस को शिकायतकर्ता से पूछना आवश्यक है, सीआरपीसी में ये अनिवार्य प्रावधान कहां लिखा हुआ है? हम लॉ मेकर नहीं हैं।“

    याचिकाकर्ता उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि नार्को-एनालिसिस बाध्य करने के लिए नहीं है। ये केवल जानकारी निकालने की एक प्रक्रिया मात्र है।

    आगे कहा- कोई व्यक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के तहत सुरक्षा की मांग कर सकता है जब उस पर अपराध का आरोप लगता है और खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए मजबूर किया जाता है। पुलिस की ओर से केवल ये पूछा जाना कि क्या आरोप या बेगुनाही साबित करने के लिए वो नार्को एनोलिसिस, पॉलीग्राफी और ब्रेन मैपिंग टेस्ट से गुजरने को तैयार हैं? इससे अनुच्छेद 20(3) का उल्लंघन नहीं होगा।

    याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय और कानून और न्याय मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो और भारतीय विधि आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।

    केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ व अन्य।


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