दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में चलने वाले अनधिकृत ई-रिक्शा/ऑटो के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
7 Jan 2022 12:00 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को ऑटो-रिक्शा चालक द्वारा दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। यह याचिका राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अवैध ऑटो और ई-रिक्शा के चलने से संबंधित है। इससे ट्रैफिक जाम और प्रदूषण बढ़ता है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई चार फरवरी, 2022 को तय की है।
याचिका अजीत कुमार नाम के एक व्यक्ति ने एडवोकेट विशाल खन्ना के माध्यम से तीन सीटों वाले ऑटो रिक्शा वाहन के मालिक होने का दावा करते हुए दायर की है।
याचिका में कहा गया कि औसतन लगभग 22,000 अनधिकृत ऑटो और 52,280 बिना लाइसेंस वाले ई-रिक्शा वर्तमान में दिल्ली की सड़कों पर चल रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में ई-ऑटो के लिए नए आवेदन आमंत्रित करने के दिल्ली परिवहन प्राधिकरण के हालिया निर्णय को तब तक लागू नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि पहले से मौजूद अनधिकृत वाहनों को हटा नहीं दिया जाता।
यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने एमसी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में दिनांक 11.11.2011 के आदेश के तहत दिल्ली में सीएनजी संस्करण के लिए एक लाख ऑटो परमिट की सीमा तय की है। याचिकाकर्ता का दावा है कि एक लाख में से परिवहन प्राधिकरण ने पहले ही 95,000 परमिट जारी किए हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए ई-ऑटो के लिए 4,200 से अधिक आरक्षित किए हैं।
तर्क दिया गया,
"उपरोक्त एक लाख परमिट के सीएपी से आगे जाना या किसी अन्य ईंधन पर निर्भर होने की तरह आगे जाना माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन माना जाएगा... यदि ई-ऑटो के लिए नए परमिट की अनुमति है तो नए वाहन ऑटो टीएसआर की पहले से ही भीड़भाड़ वाली आबादी में गायब हो जाएंगे और चलते रहेंगे। इस तरह एनसीआर क्षेत्र को प्रदूषित करना जारी रखेंगे।"
यह प्रार्थना की जाती है कि दिल्ली की सड़कों पर चल रहे पूर्वोक्त 22,000 अनधिकृत ऑटो और 52,280 बिना लाइसेंस वाले ई-रिक्शा को हटाने के बाद ही नए आवेदनों पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिषेक गुप्ता पेश हुए। दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता सत्यकाम पेश हुए।
केस शीर्षक: अजीत कुमार बनाम जीएनसीटीडी