दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में अवैध बूचड़खानों के संचालन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

Sharafat

7 July 2022 1:04 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में चल रहे अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ का विचार था कि याचिकाकर्ता उक्त अवैध बूचड़खानों के बारे में उचित विवरण देने में विफल रहा।

    मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "आपने किसी भी अवैध बूचड़खाने का एक भी उदाहरण नहीं दिया है। आप चाहते हैं कि हम पूरी दिल्ली में मछली पकड़ने और घूमने की जांच करें। बूचड़खानों की सूची कहां है?"

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने हालांकि कहा कि स्थानीय बाजारों में मौजूद अलग-अलग बूचड़खानों का ब्योरा देना संभव नहीं है। इसके बाद वकील ने कुछ तर्कों के बाद याचिका वापस लेने और आवश्यक विवरण सहित एक नई याचिका दायर करने के लिए अदालत से स्वतंत्रता मांगी।

    इस प्रकार याचिका को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया गया।

    एडवोकेट गौतम झा, पंकज कुमार और स्वेता झा के माध्यम से दायर याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई कि शहर के गाजीपुर इलाके में एकमात्र मशीनीकृत और आधुनिक बूचड़खाना की अधिकतम क्षमता का उपयोग किया जाए और लोगों की घरेलू खपत के लिए स्वस्थ मांस की आपूर्ति करे।

    याचिका में तर्क दिया गया कि यह मुद्दा COVID-19 महामारी के मद्देनजर अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस तरह की महामारी के प्रसार को रोकने के लिए बाजार में आपूर्ति किए जा रहे मांस की गुणवत्ता महत्वपूर्ण कारकों में से एक है।

    याचिका में कहा गया ,

    "केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और इस मुद्दे में भूमिका निभाने वाली अन्य एजेंसियों के सहयोग से अवैध बूचड़खानों का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि दिल्ली में बेरोकटोक अवैध बूचड़खाने और बूचड़खाने की समस्या जारी है, जिससे निवासियों के जीवन को जोखिम में डालना और पूरी आबादी को मांस की आपूर्ति से उत्पन्न होने वाली किसी भी भविष्य की महामारी के खतरे को उजागर करना, जो मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।"

    याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में अवैध बूचड़खानों को आपूर्ति किए जाने वाले पशुधन के स्रोत की जांच करने के लिए कोई सिस्टम नहीं है, जिसके कारण इन पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति का पता नहीं चलता है, जिसके परिणामस्वरूप अवैध तस्करी होती है।

    याचिका में तर्क दिया गया कि

    " यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि इन अवैध बूचड़खानों में संसाधित किया जा रहा मांस मानव उपभोग के लिए उपयुक्त है या नहीं। इसके विपरीत, यदि मांस को गाजीपुर में एक लाइसेंस प्राप्त और आधुनिक बूचड़खाने में संसाधित और संसाधित किया जाता है तो उन्हें विभिन्न कानूनों, नियमों, विनियमों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों और भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत निर्धारित कड़े मानकों को पूरा करना होगा।"

    केस टाइटल : दीपक उपाध्याय बनाम दिल्ली एनसीटी राज्य और अन्य।

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