लॉकडाउन में सेक्स वर्करोंं को आर्थिक मदद देने संबंधी जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में ख़ारिज
LiveLaw News Network
16 May 2020 10:30 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने एलजीटीबीक्यू समुदाय और सेक्स वर्करोंं को COVID-19 के दौरान आर्थिक मदद दिए जाने के बारे में दायर जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और कई अन्य सरकारों ने COVID-19 के कारण लोगों की मुश्किलों को दूर करने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं और जिन लोगों को राहत दिलाने के लिए यह याचिका दायर की गई है वे लोग भी इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
जनहित याचिका में दिल्ली की सेक्स वर्करो और एलजीटीबीक्यू समुदाय के लोगों को भोजन, आश्रय और दावा आदि उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आदेश दिए जाने का अदालत से आग्रह किया गया था।
इन लोगों के पुनर्वास के लिए जनहित याचिका में एक समिति के गठन का आदेश दिए जाने की मांग की गई थी और इसके अलावा यह भी कि अगर ये लोग दिल्ली में किराए के मकान में रह रहे हैं तो उनको किराया देने से छूट दिए जाने के निर्देश की माँग भी की गई थी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता अदालत को ऐसे लोगों की सूची नहीं दे पाया है जो प्रभावित हैं या ऐसे लोगों की पहचान नहीं कर पाया है जो अदालत में आकर कह सके कि उसे मदद चाहिए।
याचिककर्ता ने किराए में छूट दिए जाने की मांग की थी पर किसी संबंधित मकान मालिक को इस याचिका में पक्षकार नहीं बनाया था।
बिना किसी तैयारी के जनहित याचिका दायर करने की बात कहते हुए अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"यद्यपि जनहित याचिकाओं के बारे में इस अदालत ने जो नियम बनाए हैं उसमें कहा गया है कि अगर आप जनहित याचिका दायर करते हैं तो आप अगर पहले कोई जनहित याचिका दायर किए हैं तो उसका परिणाम सहित उल्लेख करेंगे पर याचिकाकर्ता ने इस पर समुचित ध्यान नहीं दिया है और कहा है कि उसने पहले जो याचिकाएँ दायर की है उस पर निर्णय आ चुका है। वह यह नहीं बता रहा है कि पूर्व की याचिकाओं को निरस्त किया जा चुका है।"
याचिका को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा, कि वह याचिकाकर्ता के कम उम्र को देखते हुए उसके इस व्यवहार के बावजूद उस पर किसी तरह का कोई जुर्माना नहीं लगा रही है।
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