दिल्ली हाईकोर्ट ने क़ैदियों को फ़र्ज़ी चिकित्सा प्रमाण पत्र देने के मामले में आरोपी डॉक्टर के ख़िलाफ़ अपराध शाखा को जांच का आदेश दिया

LiveLaw News Network

1 July 2020 4:00 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने क़ैदियों को फ़र्ज़ी चिकित्सा प्रमाण पत्र देने के मामले में आरोपी डॉक्टर के ख़िलाफ़ अपराध शाखा को जांच का आदेश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को डॉक्टर ग़ज़िंदर कुमार नैय्यर के ख़िलाफ़ जांच का आदेश दिया है। नैय्यर पर आरोपी/सजायाफ़्ता और/या उसके परिवार के सदस्यों को ज़मानत, अंतरिम ज़मानत और सज़ा को निलंबित करने में मदद के लिए फ़र्ज़ी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का आरोप है।

    न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की एकल पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि दिल्ली पुलिस की विधि शाखा और अभियोजन निदेशालय, दिल्ली, उसके रिकॉर्ड की जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि गजिंदर कुमार नैय्यर के चिकित्सा प्रमाणपत्र और/या पैथलाजिकल रिपोर्ट के आधार पर पिछले दो सालों में कितने आरोपियों/दोषियों को ज़मानत, अंतरिम ज़मानत दी गई या उनकी सज़ा निलंबित की गई।

    यह आदेश अब्दुल रहमान ऊर्फ़ नवाली बनाम जीएनसीटीडी मामले में अब्दुल रहमान नवाली की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसने बताया कि उसकी पत्नी के गर्भाशय का ऑपरेशन होना है जिसकी वजह से उसे ज़मानत चाहिए। आरोपी को डॉक्टर गजिंदर कुमार नैय्यर ने इस बारे में प्रमाणपत्र जारी किया था।

    जब सब इंस्पेक्टर रोहित चहर ने एनसी अस्पताल का दौरा किया तो उसे पता चला कि यह डॉक्टर वहां नहीं था।

    एसआई चहर को आगे पता चला कि इस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है, वहां सिस्टेकटोमी का ऑपरेशन नहीं होता है और इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि आरोपी की पत्नी इस अस्पताल में आई थी।

    पुलिस ने अदालत में लंबित अन्य ज़मानत याचिकाओं के बारे में भी जानकारी दी जिनमें आरोपियों को इसी डॉक्टर ने मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किए हैं।

    अभियोजन ने जो इस बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश की है, उसमें दिल्ली चिकित्सा परिषद की अनुशासनात्मक समिति ने कहा कि डॉक्टर नैय्यर ने क्लीनिकल समरीज, मेडिकल प्रमाणपत्र और यहाँ तक कि अन्य वजहों से मरीज़ों को भर्ती किया और जिनका आधार इलाज नहीं था।

    दिल्ली चिकित्सा परिषद ने उसकी इस गतिविधि की वजह से 180 दिनों के लिए रजिस्टर से डॉक्टर नैय्यर का नाम हटा दिया है। परिषद ने उसके निलंबन को 29 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया है।

    28 जून को जारी नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में अभियोजन ने कहा है कि जघन्य मामलों में डॉक्टर नैय्यर मेडिकल प्रेसक्रिप्शन लिखता रहा है जिसकी वजह से आरोपी न्यायिक हिरासत से छूटने में सफल रहे हैं और इनमें से कुछ मामलों में मेडिकल सर्टिफिकेट फ़र्ज़ी पाए गए।

    यह कहा गया कि डॉक्टर गजिंदर गंभीर आपराधिक मामलों में कई प्रमाणपत्र जारी कर चुका है, जिसमें आरोपी को ज़मानत, अंतरिम ज़मानत दी गई और उसकी सज़ा निलंबित कर दी गई। इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि डॉक्टर गजिंदर नैय्यर किसी बड़े सिंडिकेट का हिस्सा हो सकता है।

    इन सूचनाओं के आधार पर, अदालत ने अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त को इस मामले की जाँच का आदेश दिया और अदालत को रिपोर्ट पेश करने को कहा।

    अदालत ने स्थिति रिपोर्ट दिल्ली के सभी ज़िला जजों को उनकी अदालतों के लिए तत्काल भेजने का निर्देश दिया जो अंतरिम ज़मानत, नियमित ज़मानत और सज़ा के निलंबन की प्रक्रिया से जुड़े हैं।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story