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केंद्र और दिल्ली सरकार मरीज़ों की ज़रूरतों के अनुपात में स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी सुनिश्चित करे : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली की सरकार को निर्देश दिया है कि वे COVID 19 के मामलों में आ रही वृद्धि पर नज़र रखें (पिछले 48 घंटों में इसमें काफ़ी वृद्धि हुई है) और इनके अनुरूप ही अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में मरीज़ों की सुविधाओं को देखते हुए उपलब्ध सुविधाओं को बढ़ाएं।
न्यायमूर्ति हिम कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद की खंडपीठ ने यह निर्देश दिल्ली में COVID 19 के मरीज़ों के इलाज के लिए निजी क्षेत्र में ज़्यादा अस्पताल खोलने का निर्देश देने के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 की जाँच के लिए ज़्यादा प्रयोगशाला खोलने का निर्देश दे।
याचिका में कहा गया है कि हाल की प्रेस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में ही COVID 19 के लगभग 10 हज़ार मरीज़ हैं, इन्हें इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त अस्पताल नहीं हैं।
इसमें आगे कहा गया है कि दिल्ली सरकार कुछ निजी अस्पतालों और लैब्ज़ को COVID 19 के इलाज और जांच की अनुमति दी है पर यह काफ़ी नहीं है।
भारत सरकार की पैरवी करते हुए एएसजी मनिंदर आचार्य ने अदालत को बताया कि केंद्र ने COVID 19 अस्पताल घोषित किए जाने के नियम बनाए हैं और ऐसे ही आईसीएमआर ने भी प्रयोगशालाओं के लिए नियम तैयार किए हैं जिनका पालन सभी राज्यों को करना है ताकि वहाँ पर जांच हो सके।
आचार्य ने आगे कहा आक दिल्ली में 13 सरकारी और 15 निजी पैथलाजिकल लैब्ज़ हैं जिनको COVID 19 के टेस्ट की अनुमति है।
दिल्ली सरकार की पैरवी करते हुए अनुज अग्रवाल ने कहा कि संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक़ जिन मरीज़ों में बहुत साधारण लक्षण हैं तो अगर उनके अपने घर में उचित सुविधा है तो उन्हें घर में खद को अलग रहने को कहा गया है और सिर्फ़ ज़्यादा गंभीर मरीज़ों को ही अस्पताल में भर्ती कराया जाना है।
अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने निजी क्षेत्र के 9 और 3 सरकारी नए अस्पताल COVID 19 के मरीज़ों के लिए शुरू किए हैं।
इस सुनवाई के बाद अदलत ने इस याचिका को निपटा दिया।