दिल्ली की एक अदालत ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक अपशब्द के लिए महिलाओं के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए

LiveLaw News Network

8 May 2020 3:00 AM GMT

  • दिल्ली की एक अदालत ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक अपशब्द के लिए महिलाओं के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए

    दिल्ली की एक अदालत ने दो महिलाओं के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने को कहा है जिन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने और मुहल्ले के मुस्लिम लोगों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक अपशब्द कहने के आरोप हैं।

    इस बारे में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एक आवेदन पर ग़ौर करते हुए तीस हज़ारी अदालत में ड्यूटी एमएम ऋषभ कपूर ने कहा कि इन महिलाओं के पास लॉकडाउन के दौरान बाहर जाने का पास भी नहीं था। अदालत ने ग़ौर करते हुए कहा कि महिलाओं ने आईपीसी की धारा 188, 153A और 295A का उल्लंघन किया है।

    इस आवेदन में आवेदनकर्ता ने एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कहा है कि 16 अप्रैल को 11.30 बजे रात को दो महिलाएं उस मुहल्ले में आईं जहां मुसलमानों की संख्या अधिक है और मुसलमानों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ नारे लगाने लगीं।

    आवेदनकर्ता ने कहा है कि इन महिलाओं ने लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए उस क्षेत्र में रह रहे लोगों के दरवाज़ों को नुक़सान भी पहुंचाया।

    याचिका में कहा गया है कि हौज़ क़ाज़ी के इस क्षेत्र में हाल ही में पार्किंग के मुद्दे पर सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। उन्होंने कहा कि यूट्यूब पर इस घटना से जुड़ा एक वीडियो भी डाला गया है जो काफ़ी चर्चित हो रहा है।

    मामले के संवेदनशील होने के बावजूद, आवेदक ने कहा, अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। फिर, आवेदक ने बताया कि एसएचओ और इस क्षेत्र के डीसीपी को इस बारे में बताया गया पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन दोनों महिलाओं के ख़िलाफ़ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता।

    पुलिस ने आगे कहा कि ये दोनों महिलाएं एक एनजीओ से जुड़ी हैं और वे उस क्षेत्र में गली के कुत्तों को खाना खिलाने के लिए आयी थीं और उसी समय मुहल्ले के लोगों के साथ उनकी कहासुनी हो गई।

    यह भी इस रिपोर्ट में कहा गया कि वीडियो को एक लोकल रिपोर्टर ने अपलोड किया है और ऐसा करने से पहले उसने इन दोनों महिलाओं से तथ्यों की जांच नहीं की है।

    इन बातों पर ग़ौर करने के बाद मजिस्ट्रेट ने कहा कि दोनों महिलाओं के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप शिकायतकर्ता ने जो हलफ़नामा दायर किया है उससे मेल खाता है।

    फिर, मजिस्ट्रेट ने कहा कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि ये महिलाएं एक एनजीओ से जुड़ी हुई हैं, उन्हें अनुमति के बिना लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था और इस वजह से आईपीसी की धारा 188 के तहत उनके ख़िलाफ़ मामला बनता है।

    ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार मामले में फ़ैसले पर भरोसा करते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा कि अगर संज्ञेय अपराध हुआ है तो पुलिस को एफआईआर दर्ज करना चाहिए।

    दोनों महिलाओं के पास लॉकडाउन के दौरान उस क्षेत्र में मौजूद होने का कोई कारण नहीं था। मजिस्ट्रेट ने कहा कि पुलिस इस मामले की जांच करे।

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