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दिल्ली की अदालत ने क्वारंटीन से भागने और पुलिस अधिकारियों की पिटाई करने वाले COVID-19 मरीज़ को ज़मानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network
6 May 2020 4:30 AM GMT
दिल्ली की अदालत ने क्वारंटीन से भागने और पुलिस अधिकारियों की पिटाई करने वाले COVID-19 मरीज़ को ज़मानत देने से इनकार किया
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दिल्ली की एक अदालत ने COVID-19 वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति को ज़मानत देने से इनकार कर दिया है। यह आदमी क्वारंटीन से भाग गया था और पकड़े जाने पर हंगामा मचाया और पुलिस आधिकारियों पर हमला किया।

ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए तीस हज़ारी अदालत ड्यूटी मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर ने कहा,

"…आरोपी ने सरकारी कर्मचारियों पर हमले की कोशिश की…प्रथम दृष्टया यह भी पता चला है कि आरोपी ने क्वारंटीन केंद्र से भागने की कोशिश की जबकि उसमें COVID-19 से संक्रमित होने के लक्षण हैं और इससे शेष समुदाय के हितों के लिए ख़तरा उत्पन्न करने जैसा है।"

आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 437 के तहत ज़मानत के लिए आवेदन दिया था कि वह पिछले 12 दिनों से हिरासत में है और उसे फ़र्ज़ी अपराधों में फंसाया गया है।

अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि आरोपी ने सह-आरोपी के साथ मिलकर उस शेल्टर होम की क्वारंटीन सुविधा में लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया जहां उन्हें रखा गया था।

अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपी ने अधिकारियों को पकड़ लिया और उन पर पत्थर फेंके जिसकी वजह से कई अधिकारियों को चोट आई।

जांच अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने आईपीसी की धारा 186/332/353/188/269/270 के तहत अपराध का दोषी है और अदालत को यह भी बताया कि आरोपी ने भागने की कोशिश के क्रम में क्वारंटीन सुविधा की तीसरी मंज़िल से नीचे कूदने का प्रयास किया।

इन दलीलों का विरोध करते हुए आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी के ख़िलाफ़ आरोप झूठे हैं क्योंकि पुलिस ने यह नहीं बताया है कि शेल्टर होम में आरोपी के पास ईंट और पत्थर कहाँ से आया।

आरोपी के अच्छे रेकर्ड का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि अभी तक पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे को ज़ब्त नहीं किया है। दलीलों के अलावा, अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट पर भी ग़ौर किया जिसमें बताया गया है कि कुछ पुलिस अधिकारियों को चोट भी पहुंची है।

आरोपी को ज़मानत देने से इंकार करते हुए अदालत ने कहा कि विशेषकर इस समय जारी महामारी को देखते हुए आरोपी के ख़िलाफ़ आरोप गंभीर हैं।

अदलत ने ज़मानत देने से इंकार करते हुए सीबीआई बनाम अमरमणि त्रिपाठी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ज़मानत देते हुए अदालत को आरोपी के व्यवहार, चरित्र और इस तरह के अपराध के दुबारा होने की आशंका जैसी बातों का ख्याल भी रखना है।

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