हिरासत में यातना: कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनडीपीएस के आरोपी को जमानत दी, सीसीटीवी फुटेज की जांच और संरक्षण के आदेश दिए

Brij Nandan

18 May 2022 4:21 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट 

    कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने मंगलवार को एक आरोपी को जमानत दे दी, जिसके खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत कार्यवाही शुरू की गई थी, यह ध्यान में रखते हुए कि उसे हिरासत में रहते हुए यातना का सामना करना पड़ा था।

    कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक, मुर्शिदाबाद को आरोपी के खिलाफ लगे प्रताड़ना के आरोपों की तुरंत जांच करने और सुनवाई की अगली तारीख पर इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

    जस्टिस राजशेखर मंथा आरोपी की पत्नी द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुना रहे थे जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनका पति हिरासत में प्रताड़ना का शिकार हुआ है।

    अदालत ने मंगलवार को सीएमओएच (स्वास्थ्य के मुख्य चिकित्सा अधिकारी), मुर्शिदाबाद के कार्यालय द्वारा 9 मई को दायर की गई चिकित्सा जांच रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया।

    कोर्ट ने रिपोर्ट के अवलोकन पर पाया कि रिपोर्ट याचिकाकर्ता के पति के अंगों में गतिशीलता का संकेत नहीं देती है और यह भी नहीं बताती है कि याचिकाकर्ता के पति को किन परिस्थितियों में चोटें लगी हैं।

    इसके अलावा, अदालत ने 10 मई को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, द्वितीय न्यायालय, बरहामपुर, मुर्शिदाबाद द्वारा दायर रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में लिया, जिसमें संकेत दिया गया था कि याचिकाकर्ता के पति का बयान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, द्वितीय न्यायालय, मुर्शिदाबाद द्वारा दर्ज किया गया था।

    बयान के अवलोकन पर कोर्ट ने आगे कहा कि बयान में याचिकाकर्ता के पति को प्रताड़ित किए गए अत्याचार का भयानक विवरण दर्ज है।

    याचिकाकर्ता के पति को बरहामपुर केंद्रीय सुधार गृह से रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा,

    "उपरोक्त के मद्देनजर, इस कोर्ट का प्रथम दृष्टया विचार है कि याचिकाकर्ता के पति को कुछ हद तक यातना का सामना करना पड़ा होगा। मामले की उपयुक्त जांच की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता के पति, आजाद अली, बेरहामपुर केंद्रीय सुधार गृह की हिरासत से तुरंत रिहा किया जाएगा। याचिकाकर्ता स्वयं और अपने पति की ओर से इस कोर्ट के समक्ष और पति की ओर से यह वचन देती है कि वह जज, स्पेशल कोर्ट, एन.डी.पी.एस. अधिनियम, बरहामपुर, मुर्शिदाबाद हर गुरुवार को सुबह 11 बजे के समक्ष रिपोर्ट करेंगी।"

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि डिफ़ॉल्ट खंड सहित स्वतंत्रता की कोई और शर्तें जज, स्पेशल कोर्ट, एन.डी.पी.एस. एक्ट, बरहामपुर, मुर्शिदाबाद द्वारा निर्दिष्ट की जा सकती हैं। यह भी देखा गया कि एनडीपीएस की कार्यवाही हमेशा की तरह चल सकती है।

    कोर्ट ने यातना और जबरन वसूली के आरोपों की जांच का निर्देश देते हुए आगे कहा,

    "पुलिस अधीक्षक, मुर्शिदाबाद, याचिकाकर्ता के पति के खिलाफ यातना के आरोपों की तुरंत जांच करेगा, और लालगोला पीएस के अधिकारी के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप अगले दिन या उससे पहले इस अदालत के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।"

    अदालत ने आगे लालगोला पुलिस स्टेशन, मुर्शिदाबाद को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के पति को हिरासत में लेने और उसके बाद के संबंध में सभी सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूत सुरक्षित रखे।

    मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होनी है।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुभाषी चक्रवर्ती, एडवोकेट श्रीजीब चक्रवर्ती और एडवोकेट सुभा पाठक पेश हुईं। राज्य की ओर से एडवोकेट अमृता पांजा मौलिक पेश हुईं।

    केस टाइटल: सलमा बीबी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एंड अन्य

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 182


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