जेलों में COVID-19 मामले: 'अंडरट्रायल कैदियों को कम भीड़ वाले सुधार गृह में स्थानांतरित करने पर विचार करें', बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य से कहा

LiveLaw News Network

23 April 2021 10:33 AM GMT

  • जेलों में COVID-19 मामले: अंडरट्रायल कैदियों को कम भीड़ वाले सुधार गृह में स्थानांतरित करने पर विचार करें, बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य से कहा

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य के जेलों में भीड़ कम करने और जेलों में कोरोनोवायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी न्यायिक मजिस्ट्रेटों को कैदी को स्थानांतरण करने की मांग वाले आवेदन पर 48 घंटे के भीतर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

    मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर इस मुद्दे पर संज्ञान लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जेल के 200 कैदी और विभिन्न जेलों में 80 से अधिक जेल कर्मचारी COVID19 पॉजिटिव पाए गए हैं।

    18 अप्रैल, 2021 तक जेल के कैदियों के बीच 249 एक्टिव COVID19 के मामले और जेल स्टाफ के बीच 97 एक्टिव COVID19 के मामले पाए गए हैं। यरवदा सेंट्रल जेल में केवल 2449 कैदियों की आधिकारिक क्षमता के बावजूद सबसे अधिक 6170 कैदी हैं।

    बेंच ने आदेश में कहा कि,

    "वर्तमान के गंभीर परिस्थितियों के संबंध में यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य के विभिन्न सुधार गृहों में रखे गए अंडर-ट्रायल कैदियों को समान वितरण प्राप्त के लिए कम-भीड़ वाले सुधार गृह में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही राज्य उचित कारण के आधार पर भीड़-भाड़ वाली जगह सो सुधार गृह में स्थानांतरित करने का निर्णय ले सकता है और यदि इस संबंध में संबंधित मजिस्ट्रेट के सामने कोई आवेदन किया जाता है तो इस तरह के आवेदन पर विचार किया जाएगा और कानून के अनुसार इस तरह के आवेदन प्राप्त होने के 48 घंटों के भीतर आवेदन के मैरिट के आधार पर आदेश पारित किया जाना चाहिए।"

    एनजीओ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई के सबमिशन पर यह निर्देश पारित किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने कहा कि कैदियों को कम भीड़ वाले जेलों में स्थानांतरित करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को सूचित किया कि ऐसे स्थानांतरण के लिए संबंधित निचली अदालत से न्यायिक आदेशों की आवश्यकता होती है।

    महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने महाराष्ट्र राज्य और अन्य बनाम सईद सोहेल शेह और अन्य 13 SCC 192 (2012) के मामले का हवाला दिया। सुनवाई के दौरान राज्य द्वारा कोर्ट को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के आदेशों को लागू करने के बावजूद 23,217 की क्षमता वाले जेलों में कैदियों की संख्या 35,124 है। सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के आदेश के बावजूद बॉम्बे हाईकोर्ट और निचली अदालतों के आदेश के अनुसार गिरफ्तारी और सजा की वजह से जेल में भीड़ कम नहीं हुई।

    मई 2020 में अपनी अंतिम बैठक में हाई पावर कमेटी ने अनुमान लगाया कि यदि उनके दिशानिर्देशों का पालन किया गया तो कुल 17,642 कैदी रिहा हो जाएंगे। उस समय जेल के कैदियों की कुल संख्या 35,239 थी।

    पीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य को 45 साल या उससे अधिक उम्र के कैदियों को गिरफ्तारी के तुरंत बाद टीकाकरण के लिए भेजने को कहा, अगर पहले से ही टीकाकरण नहीं हुआ है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद कोविड टेस्ट किया जाए और कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही स्थायी जेल में डाला जाए। यदि आरोपी की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आती है तो उसे संबंधित अस्थायी जेल में भेजा जाएगा।

    पीठ ने कहा कि,

    " किसी व्यक्ति या आरोपी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारी और थाने का प्रभारी द्वारा गिरफ्तार आरोपी का रैपिड एंटीजन टेस्ट और RT-PCR टेस्ट करवा कर टेस्ट की रिपोर्ट के साथ जेल भेजा जाएगा। जब तक रिपोर्ट नहीं आती तब तक आरोपी को न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। जब आरोपी की रिपोर्ट कोविड निगेटिव आ जाएगी तभी उसे सुधार गृह में भेजा जाएगा और अगर आरोपी की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव पाई जाती है तो उस आरोपी को अस्थायी जेल या कोविड केयर सेंटर भेजा जाएगा।"

    पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित अदालतों के समक्ष आरोपियों को पेश करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इसके साथ ही कैदियों को टेलीफोन पर उनके परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी जाए।

    कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2021 को राज्य सरकार से राज्य का प्रस्ताव "ब्रेक द चेन" के पास होने के बाद भी किए गए अपराधों का डेटा मांगा। हालांकि महाधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत डेटा वर्ष 2020 और 2019 के दौरान किए गए अपराधों से संबंधित है। इसलिए प्रासंगिक डेटा जमा करने के लिए एजी को अधिक समय दिया गया। पीठ अब इस मामले की सुनवाई 27 अप्रैल 2021 को करेगी।

    राज्य को विचार करने के लिए पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज द्वारा की गईं सिफारिशें।

    -अधिक से अधिक शिक्षण संस्थानों को अस्थायी जेलों के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए। विशेष रूप से मुंबई, पुणे, नासिक और कोल्हापुर में जहां नए कोविड पॉजिटिव मामले और भीड़ बहुत अधिक है। इन स्थानों पर प्रदान की जाने वाली टेलीफोन की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।

    1. जमानत मामलों की सुनवाई के लिए अदालतों की संख्या में वृद्धि करना चाहिए।

    2. टेस्टिंग ज्यादा से ज्यादा की जानी चाहिए क्योंकि कैदियों ने भी RT-PCR टेस्ट कम होने को लेकर शिकायत की है।

    3. समय बचाने के लिए जेल में वैक्सीनेशन की व्यवस्था की जानी चाहिए। अब तक कुछ कैदियों को टीकाकरण हुआ है।

    4. उच्च संचालित समिति को कैदियों की रिहाई के लिए एक संशोधित मानदंड तय करना चाहिए।

    5. अपराध के लिए कैदियों को दी गई 10 साल जेल की सजा को कम करके 7 साल कर देने से जेल में भीड़ कम होगी। आयुर्वेदिक डॉक्टर केवल तलोजा जेल हैं।

    6. जेलों में फोन बूथों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।

    'प्रयास(PRAYAS)' (मुंबई के टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान एक इकाई) ने निम्नलिखित सिफारिशें की हैं।

    मजिस्ट्रेट अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटियों के संदर्भ के बावजूद पीआर बांड्स पर अंडरट्रायल कैदियों को रिहा नहीं कर रहे हैं।

    'प्रयास' के अनुभव से पता चला है कि जब यूटीआरसी ट्रायल कोर्ट मजिस्ट्रेट / जज को पीआर बॉन्ड पर रिहाई के लिए मामलों को संदर्भित करता है तो वे हमेशा पीआर बॉन्ड पर अंडरट्रायल कैदियों की रिहाई नहीं करते हैं। यह सुझाव दिया जाता है कि वर्तमान स्थिति में पीआर बॉन्ड पर रिहाई के लिए यूटीआरसी द्वारा पहचाने गए मामलों को ट्रायल कोर्ट मजिस्ट्रेट / जज द्वारा पीआर बॉन्ड रिहाई की जानी चाहिए।

    एचपीसी को COVID-19 के गंभीर लक्षणों को देखते हुए कमजोर व्यक्तियों की रिहाई के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने की आवश्यकता है।

    अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी (यूटीआरसी) को हाई पावर कमेटी की सिफारिशों के अनुसार रिहाई के लिए अंडरट्रायल कैदियों की सूची पर नियमित रूप से निगरानी रखनी चाहिए और वास्तविक रिहाई का नियमित अपडेट प्राप्त करना चाहिए।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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