COVID-19: दिल्ली हाईकोर्ट ने उचित मूल्य पर सामान बेचने वाले दुकानों के मालिकों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

24 July 2021 12:40 PM IST

  • COVID-19: दिल्ली हाईकोर्ट ने उचित मूल्य पर सामान बेचने वाले दुकानों के मालिकों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को COVID-19 महामारी के बीच उचित मूल्य पर सामान बेचने वाले दुकानों के मालिकों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका दिल्ली राशन डीलर्स यूनियन की ओर से दायर की गई है।

    याचिकाकर्ता, उचित मूल्य पर सामान बेचने वाले 70 दुकानों के मालिकों का एक संघ प्रस्तुत करते हैं कि महामारी के कारण राशन की दुकान के मालिक / उचित मूल्य पर सामान देने वाले दुकान मालिकों को पात्र राशन कार्ड धारकों और अन्य जरूरतमंद व्यक्तियों को मुफ्त में राशन वितरित करने का आदेश दिया गया है।

    दिल्ली आयुक्त के आदेश के अनुसार उन्हें सभी सात दिनों के लिए दुकानें खोलने के लिए भी बाध्य किया गया है। उनके काम में दिन-प्रतिदिन का सार्वजनिक व्यवहार शामिल है और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति आवश्यकताओं से वंचित न रहे, जिसके कारण वे वायरस से संक्रमित होने के लिए अत्यधिक असुरक्षित हैं।

    याचिका में इस प्रकार कहा गया कि COVID-19 के दौरान उचित मूल्य पर सामान देने वाले दुकान के मालिकों को आवश्यक फ्रंट-लाइन कार्यकर्ता घोषित किया जाना चाहिए और सभी लाभों को उन्हें प्राप्त होने चाहिए।

    मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने शुरुआत में याचिकाकर्ता से पूछा कि,

    "अब 18 साल से ऊपर के सभी लोगों के लिए टीके उपलब्ध हैं। फिर इसकी क्या जरूरत है?"

    इस पर अधिवक्ता यश अग्रवाल ने राज्य में वैक्सीन की उपलब्धता की कमी का हवाला देते हुए जवाब दिया।

    अधिवक्ता यश अग्रवाल ने कहा कि,

    टीके अभी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।"

    अग्रवाल ने कहा कि,

    "फ्रंटलाइन वर्कर्स को उनके परिवार में किसी की मृत्यु होने पर मौद्रिक लाभ मिलता है। इसलिए इसके माध्यम से हम ऐसे सभी लाभ चाहते हैं।"

    याचिकाकर्ता विशेष रूप से लाभ के लिए प्रार्थना करते हैं जिसमें मृत्यु होने पर बीमा शामिल है, इसके साथ ही चिकित्सा व्यय का कवरेज; मास्क और सैनिटाइज़र जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति आदि। वे यह भी आग्रह करते हैं कि भीड़ का प्रबंधन करने और सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक एफपीएस पर एक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक की प्रतिनियुक्ति की जानी चाहिए।

    याचिका पर नोटिस 19 मई 2021 को जारी किया गया था।

    जीएनसीटीडी के वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने शुक्रवार को पीठ को बताया कि किसी भी वर्ग के व्यक्तियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने का निर्णय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा लिया जा सकता है।

    तदनुसार, न्यायालय ने प्रतिवादी को लिखित जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया है। अब मामले की सुनवाई 6 सितंबर को की जाएगी।

    केस का शीर्षक: दिल्ली राशन डीलर्स यूनियन और अन्य बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार एंड अन्य।

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