पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करते हुए विपरीत सेक्स के साथ मुक्त संबंधों के लालच में देश के युवा अपना जीवन खराब कर रहे हैंः इलाहाबाद हाईकोर्ट
Manisha Khatri
24 July 2023 10:15 PM IST
पिछले सप्ताह इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि देश के युवा पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करते हुए विपरीत सेक्स के सदस्यों के साथ मुक्त संबंधों के लालच के कारण अपने जीवन को खराब कर रहे हैं, हालांकि, अंत में उनको कोई ‘‘सच्चा जीवनसाथी’’ नहीं मिल पाता है।
जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा कि,
‘‘इस देश में युवा, सोशल मीडिया, फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और वेब सीरिज के प्रभाव में, अपने जीवन की सही दिशा को तय करने में सक्षम नहीं हैं और एक सही जीवनसाथी की तलाश में, वे अक्सर गलत व्यक्ति की संगत चुन लेते हैं ... सोशल मीडिया, फिल्मों आदि में दिखाया जाता है कि कई अफेयर चलाना और अपने जीवनसाथी से बेवफाई करना एक सामान्य सी बात हैै और यह प्रभावशाली दिमाग की कल्पना को भड़काता है और वे उसी के साथ प्रयोग करना शुरू करते हैं, लेकिन वह प्रचलित सामाजिक मानदंड में फिट (नहीं)होते हैं।’’
अदालत ने एक लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी बनाए गए व्यक्ति की जमानत देते हुए यह अवलोकन किया है। आरोपी का मृतका के साथ प्रेम संबंध था। अदालत ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) के अपराध का मामला आवेदक के खिलाफ बनता नजर नहीं आ रहा है।
अदालत ने यह भी कहा कि तात्कालिक मामले में, पीड़िता ने कई लड़कों के साथ ‘‘अफेयर’’ किया और बाद में,‘‘अपने परिवार के प्रतिरोध या लड़कों के साथ बेजोड़ता के कारण दोस्ती तोड़ ली और ‘‘हताश’’ होकर उसने मच्छर भगाने वाला तरल पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली।
अपने आदेश के पृष्ठ-7 में, बेंच ने यह भी उल्लेख किया है कि युवा पीढ़ी, पश्चिमी संस्कृति का पालन करने के परिणामों से अनजान, सोशल मीडिया, फिल्मों आदि पर प्रसारित होने वाले रिश्तों में प्रवेश कर रही है, और उसके बाद,उनकी पसंद के साथी को सामाजिक मान्यता न मिलने के कारण वे ‘‘निराश’’ हो जाते हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि,‘‘ इस तरह के रिश्तों में प्रवेश करने के बाद जिन कठिन परिस्थिति में वह पहुंच जाते हैं और उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता न मिलने के बाद (वे) कभी-कभी समाज के खिलाफ व्यवहार करते हैं, कभी -कभी अपने माता -पिता के खिलाफ और कभी -कभी अपनी पसंद के साथी के खिलाफ भी व्यवहार करते हैं।’’
भारतीय परिवारों द्वारा इस तरह के रिश्तों की गैर-स्वीकृति के बारे में, अदालत ने कहा कि भारतीय समाज भी इस ‘‘भ्रम की स्थिति’’ में है कि क्या वह अपने बच्चों को पश्चिमी मानदंडों को अपनाने दें या उन्हें भारतीय संस्कृति की सीमा के भीतर दृढ़ता से रखे?
अदालत ने कहा,‘‘उनके परिवार भी अपने बच्चे द्वारा चुने गए साथी की जाति, धर्म, मौद्रिक स्थिति, आदि के मुद्दों पर गलती करते हैं और इसके कारण कभी -कभी बच्चे अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने के लिए घर से फरार हो जाते हैं; कभी -कभी आत्महत्या करने के लिए कदम बढ़ा लेते हैं और कभी पुराने रिश्ते के असफल रहने के बाद मिली भावनात्मक लैकुना को भरने के लिए जल्दबाजी में फिर से कोई रिश्ता बना लेते हैं।’’
अदालत ने कहा कि उपरोक्त स्थिति के कारण, निम्नलिखित प्रकार के मामले ज्यादातर अदालतों में आ रहे हैं;-
(1) विवाह के झूठे वादे पर बलात्कार के अपराध का आयोग;
(2) आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के अपराध का आयोग;
(3) उसके दोस्त या उसके साथियों के द्वारा हत्या करने के अपराध का आयोग या गैर इरादतन हत्या के अपराध का आयोग,
(4) ऐसे रिश्तों से उत्पन्न होने वाले अन्य प्रमुख और मामूली अपराधों के बारे में झूठां फंसाने के मामले भी आ रहे हैं,
मामले के तथ्य
अभियोजन पक्ष यह आरोप था कि आवेदक और पीड़िता के बीच प्रेम संबंध थे। कथित तौर पर आवेदक और अन्य सह-अभियुक्त व्यक्तियों ने उसका अपहरण किया और चार दिनों तक उससे बलात्कार किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे अवसाद का सामना करना पड़ा। 9 जून, 2022 को उसका फिर से अपहरण कर लिया गया और उसके बाद, बाजार में छोड़ दिया गया।
उसने कथित तौर पर अपनी बहन को बताया कि उसे पीने के लिए कुछ नशीला पदार्थ दिया गया था और उसके बाद उसके साथ बलात्कार किया गया, जिन्होंने उसका वीडियो भी बनाया था। इसके बाद, उसने मच्छर रिपेलेंट का सेवन किया और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां 10 जून, 2022 को उसकी मृत्यु हो गई।
प्रारंभ में, आवेदक के खिलाफ सामूहिक बलात्कार, अपहरण, नशीला पदार्थ पिलाने और मृतका की हत्या के अपराध का मामला बनाया गया था, हालांकि, मामले के जांच अधिकारी को आरोपी सही नहीं मिले, इसलिए, आरोपी-आवेदन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306/504/506 के तहत केस बनाया गया।
हाईकोर्ट के समक्ष आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि उसने मृतक को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने के लिए कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कार्य नहीं किया था और आवेदक की तरफ से ऐसी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई थी जिसने उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया हो।
हाईकोर्ट का आदेश
मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आत्महत्या करने का अपराध नहीं बनता है। यह भी कहा गया कि वास्तव में, यह एक ऐसा मामला था जहां मृतका का आवेदक के साथ एक प्रारंभिक संबंध था और दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन मृतका के परिवार के सदस्य उनके रास्ते में आ गए और उसके बाद पीड़िता ने दूसरे लड़के के साथ संबंध बना लिए।
अदालत ने आगे कहा कि चूंकि आवेदक-अभियुक्त के साथ पीड़ित का संबंध ‘‘पूरी तरह से टूटा’’ नहीं था, इसलिए मृतका को इन दो रिश्तों के बीच कोई स्पष्ट रास्ता नहीं मिल पाया था और जाहिर तौर पर, यही कारण है कि उसने मच्छर रिपेलेंट का सेवन किया और बाज़ार में बेहोश हो गई।
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों को संदर्भित करते हुए कहा, ‘‘वर्तमान मामला एक ऐसा मामला नहीं है, जहां अभियुक्त ने अपने कृत्यों या चूक के द्वारा या अपने आचरण से ऐसी परिस्थितियों को बनाया था, जिन्होंने मृतका के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा था, जिस स्थिति में उकसाने का अनुमान लगाया जा सकता है।’’
इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी होने में लगने वाले समय की अनिश्चितता, पुलिस द्वारा एकतरफा जांच, अभियुक्त पक्ष के मामले की अनदेखी और मामले की सुनवाई के दौरान आवेदक के त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के बड़े जनादेश को ध्यान में रखते हुए अभियुक्त को जमानत दे दी।
केस टाइटल - जय गोविंद उर्फ रामजी यादव बनाम स्टेट ऑफ यू.पी.,आपराधिक मिश्रित जमानत आवेदन संख्या - 29409/2023
साइटेशन- 2023 लाइवलॉ (एबी) 227
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