यूपी के पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के लिए शौचालयों बनाने के लिए उठाए गए कदमों और आवंटित धनराशि का उल्लेख करें': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया

Sharafat

23 Jun 2023 4:58 PM GMT

  • यूपी के पुलिस स्टेशनों में महिलाओं के लिए शौचालयों बनाने के लिए उठाए गए कदमों और आवंटित धनराशि का उल्लेख करें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के अवर सचिव, गृह को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है जिसमें राज्य भर के पुलिस स्टेशनों में महिला शौचालयों के निर्माण के लिए धन आवंटन और उठाए गए अन्य आवश्यक कदमों की प्रगति की जानकारी दी जाए।

    जटिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस गजेंद्र कुमार की पीठ ने 6 लॉ स्टूडेंट दीक्षा, कुमारी प्रिया, शाल्वी तिवारी, समीक्षा सिंह, विजय कुमार और देवांश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।

    जनहित याचिका में महिलाओं की निजता और गरिमा को ध्यान में रखते हुए उत्तरदाताओं को प्रयागराज जिले के पुलिस स्टेशनों में प्रसाधन सामग्री, शुद्ध पेयजल, उचित पंखे, कूड़ेदान, वॉशरूम, टॉयलेट आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

    जब मामला 23 जून को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि इसी तरह की कार्रवाई के लिए एक और जनहित याचिका एचसी के समक्ष लंबित है , जिसमें सचिव, गृह, यूपी सरकार द्वारा मार्च 2021 में एक हलफनामे के रूप में स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी।

    इसके जवाब में याचिकाकर्ताओं ने वर्तमान जनहित याचिका में कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद आज तक कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है और अभी भी राज्य सरकार ने राज्य भर के संबंधित पुलिस स्टेशनों में महिला शौचालयों के निर्माण के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।

    इस दलील को देखते हुए न्यायालय ने 17 जुलाई, 2023 को उपयुक्त न्यायालय के समक्ष लंबित जनहित याचिका के रिकॉर्ड के साथ मामले को जोड़ने और सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    इसके अलावा अवर सचिव, गृह, यूपी सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया, जिसमें धन आवंटन और मामले में उठाए गए अन्य आवश्यक कदमों की दिशा में प्रगति का उल्लेख हो।

    उल्लेखनीय है कि फरवरी 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुछ लॉ स्टूडेंट द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के प्रत्येक पुलिस स्टेशनों में महिला शौचालयों के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश देने की मांग करते हुए इस प्रकार कहा,

    “ जीवन और उसके उपभोग में आवश्यक स्वच्छता और साफ-सफाई शामिल है। आवश्यक मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में, जीवन गरिमा के साथ नहीं जीया जा सकता।"

    याचिका पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के अधिकांश पुलिस स्टेशनों में उनके कार्यस्थल पर महिला पुलिसकर्मियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पुलिस स्टेशनों की स्थिति बहुत खराब है।

    इससे चिंतित होकर बेंच ने राज्य के अधिकारियों को वीरेंद्र गौड़ और अन्य बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य, (1995) 2 एससीसी 577 मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों की याद दिलाई । इस मामले में शीर्ष अदालत ने जीवन के अधिकार, मानवीय गरिमा और स्वच्छता के अधिकार के बीच संबंध को स्पष्ट किया था।

    गौरतलब है कि 'भारत में पुलिसिंग की स्थिति रिपोर्ट 2019' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार , 20 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मियों ने पुलिस स्टेशनों में महिला शौचालयों की कमी की शिकायत की (सर्वेक्षण में 21 राज्यों की करीब 12,000 पुलिस कर्मियों को शामिल किया गया था।)

    इस रिपोर्ट (जो दिसंबर 2019 में जारी की गई थी) के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य महिला शौचालयों की कमी या खराब स्थिति के मामले में चौथे स्थान पर है।

    हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट प्रशासन को नीलगिरी कोर्ट परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालय परिसरों की कमी के मुद्दे पर अपने रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल ने पहले इस मामले में एक रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन उक्त रिपोर्ट में यह विस्तार से नहीं बताया गया है कि नई अदालत में महिला वकीलों के लिए सुविधाएं किस तरह से प्रदान की जा रही हैं और क्या ऐसी सुविधाओं में कोई कमी आई है जो पहले उपलब्ध थीं।

    रिपोर्ट 11 जून 2023 तक प्रस्तुत की गई थी और मामला अब जुलाई के पहले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

    गौरतलब है कि यह आदेश नीलगिरी के महिला वकील संघ द्वारा दायर एक विविध आवेदन में पारित किया गया था।

    एक समाचार रिपोर्ट में प्रस्तुत नीलगिरी जिले की महिला वकीलों की शिकायतों की प्रकृति पर विचार करते हुए अदालत ने स्वप्रेरणा से आवेदन पर विचार किया।

    हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक वकील द्वारा दायर शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से नीलगिरी कोर्ट परिसर में महिला वकीलों के लिए शौचालयों की कमी पर तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया । आयोग ने रजिस्ट्रार से तीन दिन के भीतर उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा।

    केस टाइटल - दीक्षा और 6 अन्य बनाम यूपी राज्य और 4 अन्य [सार्वजनिक हित याचिका (पीआईएल) नंबर - 1416/2023

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