(वर्चुअल सुनवाई) लॉग-इन की दिक्कतों से बचने के लिए पुराने टैब्स को बंद करके दोबारा लॉग-इन करें : दिल्ली हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
31 May 2020 3:03 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान तकनीकी गड़बड़ियों से बचने के लिए वकीलों से उन मीटिंग विंडोज को बंद करने का निर्देश दिया है, जो सुनवाई के पहले से ही खुले हो सकते हैं।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने प्रभावी वर्चुअल सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश दिया है, ताकि वकीलों को सुनवाई से वंचित रह जाने से बचाया जा सके और सुनवाई शुरू होने पर उन्हें उसमें शामिल होने की अनुमति दी जा सके।
यह आदेश 'जसदान एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड बनाम आइनोक्स विंड लिमिटेड एवं अन्य' के मामले में प्रतिवादियों के वकील के समक्ष आयी तकनीकी दिक्कतों के परिणामस्वरूप पारित किया गया।
आर्बिटेशन एक्ट, 1996 की धारा 29ए के तहत मोहलत दिये जाने को लेकर एक अर्जी दायर की गयी थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था। हालांकि प्रतिवादियों के वकील कुछ तकनीकी खामियों के कारण लॉग-इन नहीं कर पाये थे। वकील ने इस बारे में कोर्ट मास्टर से सम्पर्क किया था, लेकिन एक आदेश अपलोड कर दिया गया था। वकील ने कोर्ट से सम्पर्क किया था और इसके बाद कोर्ट ने आईटी विभाग से रिपोर्ट तलब की थी।
आईटी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रतिवादियों के वकील ने निर्धारित समय से पहले ही मीटिंग विडो से जुड़ने का प्रयास किया था। इसने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी तकनीकी गड़बड़ियों से बचने के लिए किसी वकील को क्या करना चाहिए :-
रिपोर्ट में कहा गया है :-
"2. यदि कोई सहभागी निर्धारित समय से पहले मीटिंग विंडो से जुड़ने का प्रयास करता है तो उसे एक त्रुटि संदेश प्राप्त होता है, जो सिस्टम के कैश मेमोरी में जाकर सुरक्षित हो जाता है। इसलिए निर्धारित मीटिंग का समय शुरू होने के बाद यूजर को पुराना टैब बंद करके नये सिरे से जुड़ने का प्रयास करना होता है। यदि यूजर पुराना टैब बंद नहीं करता और नये टैब से वर्चुअल मीटिंग से जुड़ना चाहता है तो उसे पुराना मीटिंग टैब छोड़ने को लेकर त्रुटि संदेश प्राप्त होता है। सलाह – मीटिंग ज्वाइन करने के लिए कोर्ट स्टाफ के कॉल का इंतजार करें या दिल्ली हाईकोर्ट की वेबसाइट का डिस्प्ले बोर्ड चेक करें।"
कोर्ट का मानना है कि किसी भी मुकदमे में वकील का पेश होना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इस मामले में प्रतिवादियों के वकील वर्चुअल सुनवाई में हिस्सा नहीं ले सके, जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी, इसलिए प्रतिवादी के वकील की पेशी के बारे में अंतिम आदेश में जिक्र किया जाये और शुद्धिपत्र के तौर पर संशोधित आदेश अपलोड किया जाये।
इन दिनों वकीलों के समक्ष उत्पन्न होने वाली ये सामान्य समस्याएं हैं। ऐसा निम्नलिखित कारणों की वजह से है :-
जब कोई वकील वर्चुअल कोर्ट सुनवाई में हिस्सा लेने की कोशिश करता है और मीटिंग अभी तक शुरू नहीं हुई है, और विंडो बंद नहीं हुआ है तो मीटिंग विंडो लाइव रहता है।
पहला विंडो लाइव होने के कारण यदि वकील दूसरे विंडो में लॉग-इन करता है तो दूसरा विंडो एक्टिवेट नहीं होता है और वकील वर्चुअल मीटिंग से जुड़ने में अक्षम रहता है।
इसलिए यह सलाह दी जाती है कि वकीलों को पुराना विंडो खुला या लाइव नहीं रखना चाहिए। उसे दोबारा लॉग-इन करने से पहले बंद कर देना चाहिए। यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को अवगत कराया जाना है, ताकि वह अपने सदस्यों के बीच इसे जारी कर सके, क्योंकि संभव है कि कई वकील होंगे जिन्हें लॉग-इन करने में इस तरह की कठिनाइयां आयी होंगी। वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई को सुचारू और निर्बाध रूप से संचालित किया जाना समय की मांग है और इसे सभी पक्षों- वकील, रजिस्ट्री और कोर्ट- के सहयोग से किया जा सकता है।
आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें