"मुख्य न्यायाधीश ने एल्डर्स कमेटी के अनुरोध का पूर्णतया अपमान किया'' : अवध बार एसोसिएशन 14 जून से न्यायिक कार्य से अलग रहेगा

LiveLaw News Network

13 Jun 2021 3:53 PM GMT

  • मुख्य न्यायाधीश ने एल्डर्स कमेटी के अनुरोध का पूर्णतया अपमान किया : अवध बार एसोसिएशन 14 जून से न्यायिक कार्य से अलग रहेगा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से जुड़े अवध बार एसोसिएशन ने मौजूदा रोस्टर के क्रियान्वयन के खिलाफ गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए 14 जून से न्यायिक कार्य से अलग रहने का फैसला किया है।

    अवध बार एसोसिएशन की एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष ने एक नोटिस जारी करके कहा है कि कमेटी ने 14 जून से न्यायिक कार्य से अलग रहने का निर्णय किया है।

    नोटिस में कहा गया है,

    "मौजूदा रोस्टर के क्रियान्वयन के खिलाफ गंभीर असंतोष जताये जाने तथा न्यायिक कार्य से अलग रहने की लोकप्रिय मांग के कारण एल्डर्स कमेटी ने अपनी बैठक में आम सहमति से यह निर्णय लिया है कि लखनऊ हाईकोर्ट के वकील एवं अवध बार एसोसिएशन के सदस्य लखनऊ में 14 जून 2021 से न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे।"

    महत्वपूर्ण रूप से नोटिस में यह भी कहा गया है :

    "मुख्य न्यायाधीश ने बार के सदस्यों की शिकायतों के निपटारे तथा चार जून 2021 से प्रभावी रोस्टर के वापस लेने के एल्डर्स कमेटी के अनुरोध की पूरी तरह से अवहेलना की है। इसलिए अवध बार एसोसिएशन के सदस्य लखनऊ हाईकोर्ट में सोमवार, 14 जून 2021 से न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे।"

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समय के अभाव का हवाला देते हुए गत शुक्रवार को COVID-19 के प्रबंधन को लेकर स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका की सुनवाई स्थगित कर दी थी। इस मामले में यह लगातार तीसरा स्थगन था, जबकि इससे पूर्व में उत्तर प्रदेश में खतरनाक वायरस के प्रकोप के बीच भी कई सख्त आदेश जारी किये गये थे।

    सात जून से रोस्टर में बदलाव के कारण तत्कालीन कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की डिवीजन बेंच ने मामले को अपने हाथ में लिया। पिछले चार दिनों में इस बेंच ने तीन बार मामले की सुनवाई स्थगित की है, अर्थात सूचीबद्ध होने की सभी तारीखों यथा- सात जून, आठ जून और 10 जून को।

    अब इस मामले के अगले सप्ताह सूचीबद्ध किये जाने की संभावना है। इस बीच कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव 10 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किये जा चुके हैं।

    इस मामले में पिछला महत्वपूर्ण आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की बेंच ने 27 मई को जारी किया था, जहां इसने केंद्र सरकार को शारीरिक तौर पर उन दिव्यांग व्यक्तियों को टीकाकरण के संदर्भ में निर्णय के लिए स्पष्ट रुख के साथ आने का निर्देश दिया था, जिन्हें टीका केंद्र तक पहुंचने में कठिनाई होती है।

    नोटिस डाउनलोड करें



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