'केंद्र और राज्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठा रहे हैं सकारात्मक क़दम' : केरल हाईकोर्ट ने COVID 19 प्रभावित नर्सों को राज्य में वापस लाने के अनुरोध की याचिका ख़ारिज की

LiveLaw News Network

9 May 2020 4:30 AM GMT

  • केंद्र और राज्य स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठा रहे हैं सकारात्मक क़दम : केरल हाईकोर्ट ने COVID 19 प्रभावित नर्सों को राज्य में वापस लाने के अनुरोध की याचिका ख़ारिज की

    केरल हाईकोर्ट

    केरल हाईकोर्ट ने COVID 19 संक्रमण से ग्रस्त नर्सों को उचित इलाज के लिए राज्य में वापस लाने को लेकर यूनाइटेड नर्सेस एसोशिएशन की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया।

    एसोसिएशन ने ऐसी नर्सों को विदेश से वापस लाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जिन्हें या तो COVID 19 संक्रमण हो गया है या हो सकता है। इनका कहना था कि नर्सों को राज्यों में उचित इलाज नहीं हो रहा है और उन्हें न तो दवा दी जा रही हैं, न उनकी जांच हो रही है, और न खाना आदि मिल रहा है। याचिका में कहा गया था कि केरल राज्य में नर्सों का पूरा ख़याल रखा जा रहा है जबकि दूसरे राज्यों में उनकी उपेक्षा हो रही है और जीना उनके लिए मुश्किल हो गया है।

    अदालत ने कहा, "हमने पाया है कि केरल सरकार और भारत सरकार नर्सों सहित स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए सकारात्मक क़दम उठा रही हैं।"

    अदालत ने कहा,

    "COVID 19 प्रभावित नर्सों को वापस लाने के अनुरोध की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस रिट याचिका में प्रभावित/दुखी नर्सों का कोई विवरण नहीं दिया गया है और याचिकाकर्ता ने सिर्फ़ आम शिकायत की बात की है कि ऐसी बहुत नर्स हैं जिनको विभिन्न राज्यों में कोई इलाज नहीं हो रहा है।"

    पीठ ने इस मामले को लेकर 20 अप्रैल को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के सचिव की एक चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों से स्वास्थ्य कर्मियों का पर्याप्त ख्याल रखने और सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्पतालों/मेडिकल कॉलेजों के सभी स्वास्थ्य पेशेवरों को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है…इस पत्र में कहा गया है कि सरकार ने ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 50 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कराने की घोषणा की है जो प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकिज के तहत होगा। इस योजना का लाभ केरल सहित सभी राज्यों के नर्सों को मिलेगा।

    अदालत ने 29 अप्रैल को जारी एक ऑफ़िस मेमोरंडम पर ग़ौर किया जो आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 10(2)(1) के तहत जारी किया गया है। इसमें दूसरे राज्यों में अटके लोगों को लाने ले जाने के बारे में जारी दिशा निर्देशों का सख़्ती से पालन का निर्देश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, भारत सरकार के विभिन्न /मंत्रालयों/विभागों को दिया गया है।

    इन दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों को एक नोडल अथॉरिटी नियुक्त करनी होगी और अटके पड़े लोगों को भेजने और दूसरे राज्यों से इन्हें लाने के बारे में एसओपी तैयार करने को कहा और यह कि नोडल अथॉरिटीज़ राज्य के अंदर अटके पड़े लोगों को पंजीकृत करेगा।

    अदालत ने कहा,

    "सरकारी वकील ने कहा है कि राज्य सरकार ने महाराष्ट्र और दिल्ली के मुख्य मंत्रियों से बात कर उनसे इस बारे में हस्तक्षेप की माँग की है और इस राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों और पैरामेडिकल स्टाफ़ की सुरक्षा देने की माँग की है।"

    फिर इसमें कहा गया है कि संघ ने खुद ही माना है कि राज्य सरकार ने पहले ही इसमें हस्तक्षेप किया है ताकि राज्यों में नर्सों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

    अंततः पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता संघ या प्रभावित नर्सों के परिवार के सदस्य इस बारे में केरल के नोडल ऑफ़िसर से संपर्क करने कि लिए स्वतंत्र हैं ताकि अपनी शिकायात का वे निपटारा करा सकें और फिर केरल राज्य और भारत सरकार इस मामले की जांच करेगी और आवश्यक ध्यान रखेगी।

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