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क्या COVID-19 वायरस से संक्रमित व्यक्ति के छूने से भी संक्रमण फैलता है? बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागर विमानन सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति से पूछा

LiveLaw News Network
5 Jun 2020 9:22 AM GMT
क्या COVID-19 वायरस से संक्रमित व्यक्ति के छूने से भी संक्रमण फैलता है? बॉम्बे हाईकोर्ट ने नागर विमानन सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति से पूछा
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नागर विमानन सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति से बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या COVID-19 का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के छूने से भी फैलता है या नहीं।

न्यायमूर्ति एसजे काठवाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की पीठ ने एयर इंडिया के कमांडर देवेन वाई कनानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह पूछा है।

कनानी ने याचिका में आरोप लागाया है कि उन्होंने 23 मार्च 2020 को जारी भारत सरकार के सर्कुलर पर भरोसा किया लेकिन एयर इंडिया ने इस सर्कुलर का उल्लंघन किया और वंदे भारत मिशन के दौरान विदेशों में अटके पड़े भारतीयों को लाने के दौरान बीच के सीट को ख़ाली नहीं रखा।

याचिकाकर्ता की पैरवी एडवोकेट अभिलाष पणिक्कर ने की जबकि सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने डीजीसीए की पैरवी की। इसके अलावा डारीयस ख़मबत्ता ने गो एयर की, रवि क़दम ने स्पाइस जेट और जनक द्वारकादास ने इंटरग्लोब एवीएशन (इंडिगो) की पैरवी की।

एसजी तुषार मेहता ने विशेषज्ञ समिति की 26 मार्च को हुई बैठक के मिनट पर जोर दिया। इस बैठक की अध्यक्षता नागर विमानन सचिव ने की।

इस बैठक में कहा गया कि शारीरिक दूरी बनाए रखने से दो लोगों के बीच अनायास शरीर के सटने से संक्रमण से बचा जा सकता है। यह भी कहा गया कि अगर एक व्यक्ति के पास बैठे दूसरे व्यक्ति को सुरक्षात्मक सूट उपलब्ध कराया जाता है तो ड्रॉपलेट्स या छू जाने से संक्रमण को रोका जा सकता है।

समिति का मानना था कि बीच में बैठे व्यक्ति को अगर सुरक्षात्मक सूट उपलब्ध कराया जाता है तो विमान में इसके उड़ने या लैंड करने के दौरान लोगों के आपस में सट जाने से संक्रमण से बचा जा सकता है।

इन विवरणों पर ग़ौर करने के बाद अदालत ने विशेषज्ञ समिति से पूछा कि क्या किसी संक्रमित व्यक्ति से छू जाने से भी संक्रमण फैल सकता है या नहीं।

मंगलवार को कोर्ट ने यह जानकारी चाही कि वंदे भारत मिशन के तहत जिन लोगों को भारत वापस लाया गया उनमें से कितने भारत में लैंड करने पर COVID-19 से संक्रमित पाए गए जो विमान में चढ़ने के पहले नहीं थे। हालांकि कोर्ट के कहे मुताबिक़ यह रिपोर्ट अभी तक पेश नहीं की गई है।

22 मई को हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि बीच के सीट को ख़ाली रखने के डीजीसीए का निर्देश एयर इंडिया के ग़ैर-निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर लागू होना था।

इससे पीड़ित एयर इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दायर की डीजीसीए का सर्कुलर सिर्फ निर्धारित घरेलू उड़ानों कि लिए था।

25 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को 10 दिनों के लिए बीच के सीट की बुकिंग करने की छूट दी और बॉम्बे हाईकोर्ट को इस मामले पर जल्दी निर्णय करने की बात कहते हुए इस याचिका का निपटारा कर दिया।

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