कलकत्ता हाईकोर्ट ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनावी याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

14 July 2021 11:51 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनावी याचिका पर नोटिस जारी किया

    कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दायर नंदीग्राम से भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनावी याचिका पर नोटिस जारी किया।

    न्यायमूर्ति शंपा सरकार ने भाजपा के निर्वाचित उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि याचिका के लंबित रहने के दौरान चुनाव के संबंध में रिकॉर्ड और कागजात संरक्षित किए जाएं।

    आदेश में कहा गया है कि

    "नोटिस जारी किया जाए। मामले को 12 अगस्त, 2021 को सुना जाएगा। मामले का निर्णय लंबित है, चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज, चुनाव पत्र, उपकरण, वीडियो रिकॉर्डिंग आदि जिन्हें इस अदालत के समक्ष चुनौती दी गई है, उन्हें संबंधित प्राधिकरण द्वारा संरक्षित किया जाएं।"

    बनर्जी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पीठ से रिकॉर्ड के संरक्षण के लिए एक अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया क्योंकि अधिकारियों को चुनाव के बाद केवल 6 महीने की अवधि के लिए उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता होती है।

    कोर्ट ने रजिस्ट्री को भारत के चुनाव आयोग और रिटर्निंग ऑफिसर को आदेश की एक प्रति देने का निर्देश दिया। सुनवाई के लिए ममता बनर्जी भी ऑनलाइन मौजूद थीं। वरिष्ठ वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ((2009) 8 एससीसी 736) के अनुसार याचिकाकर्ता को चुनाव याचिका पेश करने के लिए अदालत के सामने पेश होना आवश्यक है।

    न्यायमूर्ति सरकार ने कहा कि उक्त औपचारिकता (याचिकाकर्ता की पेश होने की) समाप्त हो गई है क्योंकि वह न्यायमूर्ति चंदा के समक्ष पेश हुई थीं, जो पहले मामले से निपट रही थीं।

    जस्टिस कौशिक चंदा के अलग होने के बाद यह केस जस्टिस शंपा सरकार को सौंपा गया था। बनर्जी ने न्यायमूर्ति चंदा के याचिका पर सुनवाई करने पर आपत्ति जताई थी।

    न्यायमूर्ति चंदा ने पिछले हफ्ते मामले की सुनवाई से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया कि "अगर वह पीछे नहीं हटे तो परेशान करने वाले विवाद को जीवित रखेंगे।" न्यायमूर्ति चंदा ने जिस तरीके से उनका बहिष्कार करने की मांग की थी, उस पर आपत्ति जताते हुए बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।

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