कलकत्ता हाईकोर्ट ने जेल, थाना और अदालतों को शीघ्र वीडियो से लिंक करने को कहा

LiveLaw News Network

19 Dec 2019 3:45 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने जेल, थाना और अदालतों को शीघ्र वीडियो से लिंक करने को कहा

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जेलों, अदालतों और थानों को विडियो लिंक से शीघ्र कनेक्ट करने को कहा है।

    न्यायमूर्ति सुव्रा घोष और न्यायमूर्ति जोयमाल्या बागची ने कहा कि बुनियादी सुविधाओं जैसे विचाराधीन क़ैदियों को पेशी के लिए अदालत लाने के लिए कर्मचारी और वाहन के अभाव के कारण होनेवाली देरी को देखते हुए विचाराधीन क़ैदियों की अदालत में जल्द पेशी के लिए यह प्रक्रिया ज़रूरी है।

    पीठ को बताया गया कि अभी तक राज्य के 18 जेलों को 19 ज़िला अदालतों से लिंक कराया गया है जबकि अंडमान एवं निकोबार द्वीपों के ज़िला अदालत को उसके एकमात्र जेल से लिंक कर दिया गया है।

    पीठ ने इसे धीमी प्रगति बताते हुए पुलिस महानिदेशक (Correctional Homes), पश्चिम बंगाल जिनके वास्तविक नियंत्रण में यह है, को इस मामले में एक हलफ़नामा दायर करने को कहा। पीठ ने रजिस्ट्रार जनरल से कोर्ट से कोर्ट के आधार पर न्यायपालिका में वीडियो लिंकेज के क्षेत्र की हद बताने को कहा है।

    अदालत ने कहा कि भले ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के उपकरण जिला अदालत परिसर के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम में उपलब्ध थे, लेकिन कोर्ट रूम में ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी, जहां रिमांड के मामलों की सुनवाई हो। इस तरह की सुविधाओं के अभाव में परियोजना के उचित कार्यान्वयन में बाधा होगी।

    अदालत ने कहा,

    "इस तरह की सुविधा के अभाव में, वीडियो लिंकेज के माध्यम से विचाराधीन क़ैदियों को विडियो लिंकेज के माध्यम से अदालत में पेश करना सिर्फ़ सैद्धांतिक बनकर रह गया है। सिंगल प्वाइंट वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा रिमांड अदालतों के लिए बहुत कारगर नहीं कम मददगार होती है, जिन्हें हर दिन भारी संख्या में विचाराधीन क़ैदियों से निपटना पड़ता है।

    उन्हें ऐसे विचाराधीन कैदियों से भी निपटना पड़ता है जो उसी या अन्य मामलों में ज़मानत पर हैं । यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह की सुविधा केवल काग़ज़ी नहीं रहे बल्कि शीघ्र न्याय दिलाने के लिए एक प्रभावी औज़ार बने और अदालत में विडियो लिंकेज के माध्यम से विचाराधीन क़ैदियों की तत्काल पेशी की जा सके, इसके लिए ज़रूरी है कि विडियो लिंकेज की सुविधा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और विशेष अदालतों में भी उपलब्ध हो न कि सिर्फ़ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम तक ही सीमित नहीं हो।"

    इन बातों के साथ अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल और राज्य सरकार को विडियो लिंकेज यथासंभव शीघ्र स्थापित करने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई अब 2 अप्रैल 2020 को होगी।

    इस मामले में याचिकाकर्ता की पैरवी एडवोकेट शेखर बसु और सुब्रत गुहा बिश्वास ने की जबकि, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की पैरवी सैकत बनर्जी ने की। राज्य की पैरवी पीपी सास्वता गोपाल मुखर्जी और रणबीर राय चौधरी और मैनक गुप्ता ने की।




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