कलकत्ता हाईकोर्ट ने 16 साल की रेप पीड़िता को 23 हफ्ते के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी

Brij Nandan

10 Feb 2023 10:18 AM GMT

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने 16 साल की रेप पीड़िता को 23 हफ्ते के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी

    Calcutta High Court

    कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक 16 वर्षीय रेप पीड़िता को 23 सप्ताह से अधिक के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी।

    याचिकाकर्ता एक 16 वर्षीय लड़की है। एक बलात्कार पीड़िता है। पॉक्सो अधिनियम, 2012 के प्रावधानों के तहत संबंधित पुलिस स्टेशन में मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

    पीड़िता को 27 दिसंबर, 2022 को कार्डियक अरेस्ट आया था। उसे 2 फरवरी, 2023 तक वेंटिलेटर पर रखा गया था और वर्तमान में वो कार्डिएक लाइफ सपोर्ट प्रोटोकॉल पर है।

    सुनवाई के दौरान, जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य ने मेडिका अस्पताल द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जहां याचिकाकर्ता वर्तमान में भर्ती है।

    मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि याचिकाकर्ता 23 सप्ताह और 2 दिन की गर्भवती है और अगर उसकी गर्भ को समाप्त करने में और देरी हुई तो उसकी जान जोखिम में पड़ जाएगी।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता नाबालिग है, इसलिए मौजूदा मामले के तथ्य मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 (अधिनियम) की धारा 3(4)(ए) द्वारा शासित होंगे, जो यह निर्धारित करता है कि अभिभावक की लिखित सहमति के बिना किसी भी नाबालिग लड़की का गर्भ समाप्त नहीं किया जा सकता है।

    इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता की मां द्वारा 1 जनवरी, 2023 को लिखे गए एक पत्र को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें अस्पताल से एक सप्ताह के भीतर अपनी बेटी की गर्भ को समाप्त करने का अनुरोध किया गया था।

    कोर्ट ने इस बात पर भी विचार किया कि एफआईआर में कहा गया है कि याचिकाकर्ता बलात्कार की शिकार है, जिसके कारण गर्भधारण हुआ है और मेडिका अस्पताल के 5 डॉक्टरों की एक टीम द्वारा प्रस्तुत मेडिकल रिपोर्ट याचिकाकर्ता की अनिश्चित शारीरिक स्थिति को उजागर करती है।

    कोर्ट ने गर्भ के चिकित्सीय समापन की याचिका को स्वीकार करते हुए फैसला सुनाया,

    "याचिकाकर्ता की गर्भ को समाप्त करने के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को पर्याप्त रूप से पूरा किया गया है। सभी पक्षों द्वारा प्रार्थना के अनुसार गर्भ को समाप्त करने की तत्काल अनुमति देने की आवश्यकता है।“

    इस प्रकार, संबंधित अस्पताल को अधिनियम की धारा 3(2)(बी) और 5(1) और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अमेंडमेंट रूल्स (संशोधन), 2021 नियमों के तहत वैधानिक जनादेश को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता की गर्भ को जल्द से जल्द समाप्त करने का आदेश दिया गया।

    कोर्ट ने कहा,

    "मेडिकल हस्तक्षेप पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा किया जाएगा और प्रतिवादी संख्या 2 याचिकाकर्ता के जीवन, स्वास्थ्य और शारीरिक कल्याण की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाएगी, जिसका प्रतिनिधित्व उसकी मां ‘AK’ ने किया है।"

    केस टाइटल: 'X' (मां ने प्रतिनिधित्व किया) बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य



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