बॉम्बे हाईकोर्ट ने बताया आदेश अपलोड कर दिया गया है, सुप्रीम कोर्ट ने वकील के भ्रामक बयान पर निराशा व्यक्त की

Sharafat

12 Sep 2023 6:19 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने बताया आदेश अपलोड कर दिया गया है,  सुप्रीम कोर्ट ने वकील के भ्रामक बयान पर निराशा व्यक्त की

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वकील के गुमराह करने वाले बयान पर निराशा व्यक्त की, जिसमें वकील ने कहा था कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने संबंधित आदेश अपलोड नहीं किया है।

    वकील की दलील के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। रजिस्ट्रार द्वारा कोर्ट को सूचित किया गया कि आदेश 22 अगस्त को पहले ही अपलोड कर दिया गया था, जबकि वकील ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत को गलत जानकारी दी कि आदेश अभी तक अपलोड नहीं किया गया है।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने वकील के गलत बयान पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा:

    “…हमें इस तथ्य पर दुख है कि याचिकाकर्ताओं के वकील ने गलत बयान दिया है, जिससे हमें बॉम्बे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की स्टेटस रिपोर्ट मंगाने के लिए आदेश पारित करने की आवश्यकता पड़ी और साथ ही तर्कसंगत आदेशों को समय पर अपलोड न करने की प्रथा पर अनावश्यक टिप्पणियां भी कीं।”

    वकील की दलील पर 25 अगस्त को कोर्ट ने आदेश अपलोड करने में अत्यधिक देरी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की आलोचना की थी। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2023 को पारित एक आदेश में एक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि अस्वीकृति के कारणों को अलग से दर्ज किया जाएगा।

    इस आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी में याचिकाकर्ता ने 25 अगस्त को कहा था कि तर्कसंगत आदेश अभी भी अपलोड नहीं किया गया है। इस संदर्भ में शीर्ष न्यायालय ने कहा था,

    "अपलोड किए गए आदेश के ऑपरेटिव भाग से व्यथित पक्षकारों के लिए तात्कालिकता हो सकती है और यदि कारण उपलब्ध/अपलोड नहीं हैं तो न तो पक्ष व्यथित है और न ही न्यायालय ऐसे आदेश की शुद्धता पर विचार करते हुए इसे वैध रूप से चुनौती दे सकता है।"

    हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने 28 अगस्त को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि तर्कसंगत आदेश 22 अगस्त, 2023 को हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर भ्रामक बयान देने की आलोचना करते हुए याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल विपुल प्रमोदचंद्र शाह और अन्य। बनाम महाराष्ट्र राज्य, अपील के लिए विशेष अनुमति के लिए याचिका (सीआरएल) नंबर 10126- 10127/2023

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